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RGHS : आरजीएचएस योजना में बदलाव से जिले में हजारों बुजुर्ग पेंशनर्स परेशान

राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में हाल ही में किए गए बदलावों ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों और बुजुर्ग मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। नई व्यवस्था के तहत निजी अस्पतालों में दवा लिखवाने और उपचार के लिए मरीज को स्वयं उपस्थित होना पड़ेगा।

जयपुरDec 14, 2024 / 09:25 am

Mohan Murari

– निजी अस्पतालों में उपचार के लिए मरीज को स्वयं जाने की अनिवार्यता से बढ़ी दिक्कतें

जयपुर-कोटपूतली-बहरोड़। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में हाल ही में किए गए बदलावों ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों और बुजुर्ग मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। नई व्यवस्था के तहत निजी अस्पतालों में दवा लिखवाने और उपचार के लिए मरीज को स्वयं उपस्थित होना पड़ेगा। इसके लिए लाइव फोटो और फिंगरप्रिंट अनिवार्य कर दिए गए हैं। यह नई प्रक्रिया उन बुजुर्गों के लिए बड़ी समस्या बन गई है जो चलने-फिरने में असमर्थ हैं। पहले परिवार के सदस्य उनकी दवाएं ले आते थे लेकिन अब मरीज को खुद पर्ची कटवाने और पहचान दर्ज कराने अस्पताल जाना होगा।
फर्जीवाड़ा रोकने के उद्देश्य से बदलाव

सरकार ने आरजीएचएस योजना में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कई नियम लागू किए हैं। इनमें निजी अस्पतालों में पंजीयन के समय मरीज के फिंगरप्रिंट और लाइव फोटो लेने की अनिवार्यता शामिल है। इसके अलावा, ओपीडी, आईपीडी और डे केयर सेवाओं के लिए पंजीयन के समय मरीज की पहचान दर्ज की जाएगी।
बड़ी उम्र के बुजुर्गों के लिए बड़ी समस्या

यह बदलाव विशेष रूप से बीपी, डायबिटीज और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है जिन्हें नियमित रूप से दवाएं लेनी होती हैं। कोटपूतली-बहरोड़ जिले सहित अन्य क्षेत्रों में हजारों पेंशनर्स और योजना के लाभार्थियों को बार-बार अस्पताल जाने की मजबूरी हो गई है। इससे न केवल मरीजों को शारीरिक कष्ट हो रहा है, बल्कि उनके परिवारों पर आर्थिक भार भी बढ़ रहा है।
आर्थिक, शारीरिक और मानसिक दबाव

नए नियमों के कारण मरीजों और उनके परिजनों को निजी अस्पतालों में बार-बार जाना पड़ रहा है। यह यात्रा न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि मरीजों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। सुपर सीनियर सिटीजन जो स्वयं चल-फिर नहीं सकते उनके लिए शारीरिक कष्ट के रूप में बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
क्या कहते हैं मरीज और परिजन

मरीजों और उनके परिवारों का कहना है कि सरकार को इस प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए, ताकि बुजुर्ग और असमर्थ मरीजों को राहत मिल सके। आरजीएचएस योजना में किए गए बदलाव भले ही फर्जीवाड़ा रोकने के उद्देश्य से किए गए हों, लेकिन इससे बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को राहत मिलने के बजाय उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। सरकार को इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए प्रक्रिया को अधिक सरल और व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है।
इनका कहना है—

” हमने पेंशनर संघ के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में भी इस मुद्दे को उठाया था आरजीएचएस डायरेक्टर ने आश्वासन दिया था कि हम एक ऐप बना रहे हैं जिसमें घर बैठे ही फोटो अपलोड हो जाएगी और सुपर सीनियर सिटीजन को बार-बार अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा। हमने इन नियमों के सरलीकरण के लिए मांग की है क्योंकि चलने फिरने में असमर्थ बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए यह विकट समस्या है “
– सुभाष चंद शर्मा, ( जिला अध्यक्ष राजस्थान पेंशनर्स संघ कोटपूतली- बहरोड )

” सरकार ने फर्जीवाड़ा रोकने के लिए नियम बनाएं हैं, वैसे भी डॉक्टर को पेशेंट को तो देखना ही पड़ेगा चाहे सरकारी हो या प्राइवेट। गवर्नमेंट डॉक्टर से कंसल्ट करके दवाइयां लिखवाई जा सकती है ”
-डाॅ आशीष सिंह शेखावत ( सीएमएचओ जिला कोटपूतली- बहरोड )

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