प्रदेश में अपनी तरह की पहली इस नीति पर हस्तशिल्प क्षेत्र के विशेषज्ञों और संबंधित ख्यातनाम संस्थानों ने ये सुझाव सरकार को दिए हैं। नीति के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए उद्योग विभाग ने हाल ही बैठक आयोजित कर विशेषज्ञ सुझाव मांगे थे। इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजायन, भारतीय शिल्प संस्थान समेत खादी और हस्तशिल्प से जुड़े सरकारी और गैर सरकारी संगठनों ने अपने विचार रखे। राजस्थान पत्रिका ने हाल ही समाचार प्रकाशित कर सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया था कि नीति का मसौदा दो माह पहले बन गया था, लेकिन उसके बाद कोरोना के चलते अंतिम मसौदा नहीं बना पाया। इसके बाद उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में नीति पर विचार के लिए बैठक बुलाई गई।
सूत्रों के अनुसार बैठक में विशेषज्ञों ने प्रदेश की हस्तशिल्प और इससे जुड़े कलाकारों का सटीक डेटा बैंक बनाने की आवश्यकता भी जताई। उनका कहना था कि सही डेटा नहीं होने के कारण इनके कल्याण के लिए बनने वाली योजनाओं पर भी असर पड़ेगा। इसलिए इस डेटा को अद्यतन करने की महती आवश्यकता है। विभाग इन सुझावों में से आवश्यक बिन्दुओं को जोड़ कर अब अंतिम तौर पर नीति का प्रस्ताव तैयार करेगा, जिसे सरकार की मंजूरी के बाद जारी किया जाएगा।