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RAS 2018 Results: जयपुर की बेटियों ने पाई सफलता, सेल्फ स्टडी और आत्मविश्वास से पाई मंजिल

RAS 2018 Results: जयपुर की बेटियों ने पाई आरएएस 2018 में सफलता, किसी ने 12वीं में टॉप किया, सेल्फ स्टडी से पहली बार में आरएएस बनी तो कोई दृष्टिबाधित होते हुए भी पाया मुकाम

जयपुरJul 15, 2021 / 09:43 pm

pushpendra shekhawat

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विजय शर्मा / जयपुर। जरूरी नहीं कि हम आरएएस बनने के लिए बड़ी कोचिंग करें। अगर आत्मविश्वास हो तो सेल्फ स्टडी से ही सफलता हासिल की जा सकती है। यह कहना है कि मानसरोवर में रहने वाली भारती गौतम का। भारती ने आरएएस 2018 में 472 वीं रैंक हासिल की हैं। भारती के अनुसार उन्होंने 12 वीं में राजस्थान टॉप किया। इसके बाद से ही आरएएस बनने का ठान लिया।

महारानी कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद आरएएस की तैयारी की। पहली बार में ही चयन हुआ। भारती ने बताया कि आरएएस के लिए कोई कोचिंग नहीं की। आॅनलाइन के जरिए सेल्फ पढ़ाई की। भारती ने अपनी सफलता का श्रेय माता—पिता और परिजनों को दिया है। पिता बाबूलाल शर्मा एलआईसी एजेंट हैं। माता अनिता शर्मा सरकारी अध्यापिका हैं। भारती के अनुसार हमे इधर—उधर भटकने की बजाय लक्ष्य बनाकर सेल्फ पढ़ाई करनी चाहिए। सफलता जरूर मिलती है।

मोनिका ने पाई 11 वीं रैंक

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आरएएस भर्ती परीक्षा 2018 के परीक्षा परिणाम में जयपुर के कई अभ्यर्थियों ने अपना परचम लहराया है। जयपुर के जिले के चक हनुतपुरा गांव निवासी और हाल निवास झोटवाड़ा की रहने वाली मोनिका सामोर ने आरएएस भर्ती परीक्षा में 11 स्थान हासिल किया है। मोनिका सामोर ने बताया कि कोई भी काम मेहनत और लगन से किया जाए तो सफलता जरूर हासिल होती है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और मेंटर को दिया। उन्होंने कहा आगेे यूपीएससी सेवा में जाना चाहती हैं। मोनिका ने बताया उनके परिवार में पिता प्रॉपर्टी के व्यवसाई है माता गृहणी है वही उनका भाई भी यूपीएससी की तैयारी कर रहा है।
दृस्टिबाधित प्रगति का आरएएस में चयन

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सातवीं कक्षा में थी, जब याद है मैं सड़क पार कर लेती थी। लेकिन डॉक्टर ने मेरे लिए कह दिया था कि जैसे—जैसे उम्र बढ़ेगी मेरी आंखों की रोशन कमजोर होती जाएगी। आठवीं कक्षा के बाद मुझे दिखना बंद हो गया। इसके बाद मैंने नौवीं से लेकर कॉलेज की पढ़ाई यहां तक कि पीएचडी पूरी की। मैंने अपने इरादों को कमजोर नहीं होने दिया। आरएएस बनना मेरा सपना था। इसीलिए मैंने कभी कोई दूसरा फॉर्म नहीं भरा। तीसरी बार प्रयास में मेरा चयन हो गया। यह कहना राजधानी में गोपालपुरा निवासी दृस्टिबाधित प्रगति सिंघल का। प्रगति ने दृस्टिबाधित महिला श्रेणी में पहली रैंक पाई है। प्रगति के अनुसार इस मुकाम तक पहुंचने में उनके परिवारजनों और स्कूल समय से पढ़ाने में मदद करने वाले शिक्षक केशव देव का योगदान रहा है।

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