यह उप अधीक्षक रितेश कुमार पटेल वर्ष 2019 बैच का अधिकारी है। उसके खिलाफ पहला मामला ट्रेनिंग के दौरान ही वर्ष 2019 में सामने आया था। उसके खिलाफ साथी अधिकारी ने गांधी नगर थाने में आइटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने एफआर लगा दी थी। हालांकि घटना की गम्भीरता देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए गृह विभाग को प्रस्ताव भेज दिया था, जिसमें आज तक कार्रवाई नहीं हुई।
बलात्कार के आरोप प्रमाणित, गिरफ्तारी पर कोर्ट की रोक रितेश कुमार के खिलाफ जोधपुर के बिलाड़ा थाने में वर्ष 2021 में एक महिला ने एफआइआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने आइपीसी की धारा 376 व 384 का अपराध प्रमाणित माना। इस मामले में आरोपी अधिकारी की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट की रोक है।
एफआइआर के लिए तैयार किए झूठे साक्ष्य उप अधीक्षक रितेश कुमार ने भी एक मामला बिलाड़ा थाने में आइटी एक्ट के तहत दर्ज कराया था। इसमें वाट्सऐप चैटिंग पेश कर पीड़िता पर आरोप लगाए थे। हालांकि एफएसएल रिपोर्ट में चैटिंग मैनुप्लेटेड साबित हुई। रितेश के खिलाफ एक अन्य मामला पाली के सोजत सिटी में दर्ज है, जिसके खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है।
हम डर के माहौल में जीवनयापन कर रहे हैं उप मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पीड़िता ने कहा कि हम डर के माहौल में जीवनयापन कर रहे हैं। आरोपी पर कार्रवाई करने की बजाय फील्ड पोस्टिंग देकर पुरस्कृत किया जा रहा है। अब अन्तिम बार गुहार लगा रहे हैं अन्यथा हमें इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दी जाए।
इनका कहना है…
मेरे खिलाफ जो मामला दर्ज है उसको लेकर याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है। मेरे खिलाफ मामले ब्लैकमेलिंग को लेकर दर्ज कराए गए हैं। पुलिस मुख्यालय की ओर पूर्व में भेजी रिपोर्ट तत्कालीन सरकार ने खारिज कर दी है।
रितेश कुमार. उप अधीक्षक, गंगानगर भीलवाड़ा