सर्वाधिक दिक्कत भर्ती मरीजों को हो रही है। उन्हें वार्डों में केवल नर्सिंग स्टाफ के भरोसे ही रहना पड़ रहा है। उनका इलाज भी प्रभावित हो रहा है। उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज होने व भर्ती होने में भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ओपीडी में भी सीनियर डॉक्टरों के चैंबर के बाहर लंबी कतारें देखी जा रही हैं। गंभीर मरीजों को भी घंटों कतारों में जूझना पड़ रहा है। दूसरी ओर, हड़ताल को लेकर रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
500 से ज्यादा ऑपरेशन टले
रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल से मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। हाल ये है कि अब तक अकेले एसएमएस अस्पताल में 500 से ज्यादा मरीजों के रूटीन ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। गंभीर मरीजों को भी ऑपरेशन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। इधर, जेके लोन अस्पताल, जनाना, महिला चिकित्सालय, कांवटिया और गणगौरी अस्पताल में भी ऐसे ही हालात हैं।
दावे कागजी, जिम्मेदार गायब
हड़ताल के दौरान चिकित्सा व्यवस्था बिगड़े नहीं इसके लिए चिकित्सा विभाग और एसएमएस अस्पताल प्रशासन की ओर से दावे किए जा रहे हैं। रविवार दोपहर अस्पताल में पड़ताल के दौरान दावे कागजी साबित हुए। कारण प्रशासनिक ब्लॉक में एक भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं दिखा। ऐसे में कई मरीज इधर-उधर भटकते रहे। उनकी कोई सुनने वाला ही नहीं था। इतना ही नहीं, कई वार्डों में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ भी नजर नहीं आए। इससे मॉनिटरिंग को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।