पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल पर रिव्यू कमेटी गठित होने पर भजनलाल सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि ‘स्कूलों को बंद करने की जो सोच है वो अपने आप में समझ के परे है। पहला प्रयोग राजस्थान ने किया था, जिसकी प्रशंसा सबने की थी। प्राइवेट स्कूल में 40-50 हजार के आस-पास फीस होती है।’
‘जनता में रिएक्शन भयंकर’- गहलोत
उन्होंने आगे कहा कि ‘सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में छोटे बच्चे अंग्रेजी में बात करते हैं। सरकार के पास काम करने को बहुत है, लेकिन अभी मीडिया प्रचार, प्रसार के माध्यम से सरकार चल रही है। मुख्यमंत्री के सलाहकार कौन है, क्या सलाह दे रहे है, समझ से परे है। 9 जिलों को निरस्त कर दिया, उसका जनता में रिएक्शन भंयकर है। अब स्कूलों की बात को लेकर लोगों में रिएक्शन है। गरीब के बच्चे कहां जाएंगे?’ पूर्व सीएम गहलोत ने कहा कि ‘गांव के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाना बहुत बड़ा फैसला था। जमाना अब अंग्रेजी का भी है। अब AI भी आ गई जिसके साथ बच्चे मुकाबला कर सकें, ये सोच कर ये स्कीम लाई गई और मुझे दुख है कि इस पर समीक्षा की बात प्रारंभ हुई है।”
‘डिप्टी CM को बीच में छोड़नी पड़ेगी कमेटी’- डोटासरा
वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने शनिवार को पत्रकारों से कहा था कि अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों को बंद कराके शिक्षा मंत्री निजी विद्यालय संचालकों को फायदा पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा इंटरव्यू के माध्यम से आरएसएस और भाजपा की विचारधारा के शिक्षकों को लाने का प्रयास कर रहे हैं। अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में 13 हजार 552 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के 3640 पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा समिति में उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को संयोजक बनाया है। उन्हें यह समिति बीच में ही छोड़नी पड़ सकती है, क्योंकि उनके विधानसभा क्षेत्र में भी 59 अंग्रेजी माध्यम विद्यालय संचालित हैं। वे उन्हें कैसे बंद कराएंगे।
अंग्रेजी माध्यम के 3,737 विद्यालय संचालित
प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के 3,737 विद्यालय हैं। इनमें 45 हजार 300 पद स्वीकृत हैं और 28 हजार 108 शिक्षक और अन्य कार्मिक कार्यरत हैं। शिक्षण सत्र 2024-25 में इन विद्यालयों में 677371 बच्चों का नामांकन हुआ। इससे पहले शिक्षण सत्र 2023-23 में 7,09,970 बच्चों का नामांकन हुआ था।