जयपुर। भरी दोपहरी में भी बाजारों में भारी चहल-पहल। किसी भी रास्ते से निकलो, चौपहिया तो क्या दोपहिया वाहन निकालने में भी पसीना आ जाए। आवागमन में होने वाली यह मशक्कत सांगानेर की पहचान में शुमार हो गई है। फिर भी बाजार का माहौल ऐसा कि शहर के अच्छे-खासे बाजारों को भी पीछे छोड़ दे। यहां चौड़ी सडक़ वाले बाजार भी हैं तो तंग गलियों में बड़ी-बड़ी दुकानों वाले भी। ऐसे ही रास्तों से होते हुए रुख किया सांगानेर की सबसे बड़ी पहचान सांगा बाबा के मंदिर का। मुख्य द्वार पर लिखा था, सांगानेर को सांगो बाबो जयपुर को हनुमान, आमेर की शिलादेवी, ल्यायो राजा मान। यह पंक्ति यहां का इतिहास बयान कर रही थी।
यहां से आज के सांगानेर के बारे में जानने के लिए मालपुरा गेट की ओर कदम बढ़ाए। मालपुरा बस स्टैंड से जयपुर की ओर चलने पर कुछ दूर गली में मौजूद लोगों से बात शुरू की। अंदर की ओर बढ़े तो कुछ लोगों ने चौपाल सी जमा रखी थी। वहां ‘विकास’ का जिक्र करने पर सरकारी सेवा से निवृत्त महेश शर्मा बोले, ‘विकास की क्या कहें, यह क्षेत्र तो 5 साल राजनीतिक हॉट स्पॉट ही बना रहा। आज जयपुर मेट्रो नुकसान का सौदा बन गया है लेकिन हमारा दावा है कि इसे सांगानेर या सीतापुरा से चलाया जाता तो बड़े फायदे का सौदा होती। मेट्रो ट्रेन यहां से चलती तो रोजाना सांगानेर से जयपुर तक 10 लाख लोगों को राहत मिलती। लेकिन यहां तो मेट्रो की बजाय पॉलिटिकल एक्सप्रेस खूब चली।’ उन्हीं के साथ बैठे जुगलकिशोर बोले, ‘विकास की बात किसी से छिपी नहीं है।’ विष्णु ने कहा, ‘सांगानेर भी जयपुर का ही हिस्सा है लेकिन किसी भी रास्ते से गुजर जाओ, दूरस्थ गांव जैसा हाल दिखेगा। नालियां या तो हैं नहीं, है तो सफाई नहीं होती। परिवहन के साधन नहीं हैं। अच्छा बस स्टैंड नहीं है। रेलवे स्टेशन लेकिन ज्यादातर ट्रेनें रुकती नहीं हैं।’
इसी रोड पर आगे चलने पर एक मिठाई की दुकान पर बैठे कुछ लोगों में से एक ने कहा, ‘लगता है हम सांगानेर के नहीं, किसी गांव के बाशिंदे हैं। अच्छा अस्पताल तक नहीं है। हर तहसील में कॉलेज खुल रहे हैं तो सांगानेर में क्यों नहीं? जैसे उच्च शिक्षा तो कोई मुद्दा ही नहीं है।’ इन लोगों में से कुछ कैमरे के सामने आकर खुलकर बोले, जबकि कुछ ने कहा, ‘रहने दो साहब, हमसे ही पूछा जाएगा कि आपने ऐसा क्यों बोला।’
यहां से सांगानेर के मुख्य बाजार की ओर बढ़े तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का बोर्ड टंगा देखा। किसी पुराने मकान जैसी सीढिय़ां चढकऱ ऊपर पहुंचे तो एक दम्पती छोटे बच्चे के साथ आया। डॉक्टर को दिखाना चाहा लेकिन जवाब मिला, अब तो डॉक्टर शाम 4 बजे मिलेंगे। सीएचसी स्तर के अस्पताल में तो इमरजेंसी में डॉक्टर होना ही चाहिए, इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिला। सीताबाड़ी से आया दम्पती मायूस होकर लौट गया। यहां से बाहर निकलने पर वहीं के निवासी ने कहा, काम तो केन्द्र सरकार ने अच्छे किए लेकिन बीच वालों ने उसका फायदा बीच में काट लिया। एक अकेला इंसान कितने काम कर सकता है, काम होंगे तो जनता नाराज होगी ही। इसीलिए आज ऐसा माहौल हो रहा है।
लोगों की टीस
सांगानेर से चलती मेट्रो तो घाटे में नहीं जाती मगर यहां तो सिर्फ ‘पॉलिटिकल एक्सप्रेस’ दौड़ी सांगानेर की खास बातें
जयपुर का हवाईअड्डा सांगानेर में
रंगाई-छपाई उद्योग के लिए यह दुनियाभर में प्रसिद्ध
सांगानेरी प्रिंट का अपना अलग नाम
जयपुर से काफी पुराना है सांगानेर
सांगानेर से चलती मेट्रो तो घाटे में नहीं जाती मगर यहां तो सिर्फ ‘पॉलिटिकल एक्सप्रेस’ दौड़ी सांगानेर की खास बातें
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रंगाई-छपाई उद्योग के लिए यह दुनियाभर में प्रसिद्ध
सांगानेरी प्रिंट का अपना अलग नाम
जयपुर से काफी पुराना है सांगानेर
2013 की स्थिति
सांगानेर कुल वोट 168688 विधानसभा सीट
भाजपा – 66.27 प्रतिशत
कांग्रेस – 27.93 प्रतिशत
नोटा – 2911 वोट
सांगानेर कुल वोट 168688 विधानसभा सीट
भाजपा – 66.27 प्रतिशत
कांग्रेस – 27.93 प्रतिशत
नोटा – 2911 वोट