Mental Health Day : घरेलू महिलाओं में भी बढ़ रही है शराब पीने-पिलाने की दीवानगी, वजह जानकर चौंक जाएंगे
Mental Health Day : महिलाओं-युवतियों में पीने-पिलाने की दीवानगी बढ़ रही है। इससे उनके शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। शराब का शौक सेहत पर भारी पड़ रहा है। जानें क्या है वजह।
Mental Health Day : युवतियों व महिलाओं में शराब पीने की लत तेजी से बढ़ रही है। इनमें कामकाजी ही नहीं घरेलू महिलाएं भी शामिल हैं। इससे उनके शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। परिजन भी इस लत को छुड़वाने के लिए महिलाओं-युवतियों को लेकर मनोरोग विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे हैं। जयपुर में रोजाना ऐसे केस आ रहे हैं। अकेले मनोचिकित्सा केंद्र की बात करें तो डेढ़ साल पूर्व तक जहां महीने में एक-दो केस आते थे, वो अब बढ़कर 15 से 20 हो गए हैं। इस संबंध में मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास आने वाले केस दो कैटेगरी में आ रहे हैं। एक कैटेगरी न्यू एज वर्किंग क्लास तो दूसरी कैटेगरी मिडिल क्लास है। दोनों में युवतियां और महिलाएं शामिल हैं। लेकिन न्यू एज वर्किंग क्लास कैटेगरी के केस सर्वाधिक आ रहे हैं। इनकी उम्र 22 से 34 साल तक है। इनमें शराब की लत के केस बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। लेकिन व्यावसायिक आवश्यकता, भावनात्मक कारण, तलाक, पति का दूसरी महिला से अवैध संबंध, प्रेम प्रसंग में विफलता, करियर में निराशा, आर्थिक तंगी, शादी में देरी जैसे कई कारण बताए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि शराब पीने से महिलाओं में ऑव्यूलेशन कम हो जाता है। इस कारण कई महिलाओं को बेबी कंसीव करने में भी परेशानी होती है। कोई महिला कंसीव कर भी ले तो कई भ्रूण में साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं। ऐसे में हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए दोनों पार्टनर की फर्टिलिटी का अच्छा होना जरूरी होता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन माह महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे मेें यदि कोई महिला अपनी ड्रिंकिंग हैबिट को जारी रखती है, तो भ्रूण में कई तरह की विकृतियों की आशंका बनी रहती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शराब की लत को छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है। समय रहते इलाज करवाएं। टेलीमानस की हेल्पलाइन कॉल करके मदद ले सकते हैं। नशा छुड़वाने के लिए कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी काम कर रही हैं। उनकी भी मदद ली जा सकती हैं। निजी मनोचिकित्सा केंद्र में भी जा सकते हैं।
बेबी कंसीव में भी दिक्कत
मनोचिकित्सा केंद्र अधीक्षक डॉ. ललित बत्रा ने कहा बेबी कंसीव में भी दिक्कत आ रही है। शुरुआत में उनकी काउंसलिंग करते हैं, उन्हें मोटिवेट किया जाता है। फिर उन्हें दवाइयां दी जाती हैं ताकि उन्हें तलब न हो। धीरे-धीरे उनकी लत छूट जाती है।