scriptअशोक गहलोत और कांग्रेस क्यों नहीं समझ पाए हवा का रुख, भाजपा ने इस तरह मारी बाजी | Rajasthan election Result 2023 Why Ashok Gehlot and Congress could not understand their defeat | Patrika News
जयपुर

अशोक गहलोत और कांग्रेस क्यों नहीं समझ पाए हवा का रुख, भाजपा ने इस तरह मारी बाजी

इन सभाओं में दिए गए इनके भाषणों का विश्लेषण किया जाए तो साफ पता चलेगा कि जहां पीएम मोदी ने लोगों को अपनी यानी मोदी गारंटी का वादा किया वहीं सीएम गहलोत ने अपने भाषणों में राहत योजनाओं और गारंटियों का ही जमकर प्रचार किया।

जयपुरDec 05, 2023 / 10:09 am

Santosh Trivedi

ashok_gehlot_pm_modi.jpg

दौलत सिंह चौहान
राजस्थान विधानसभा चुनावों के रविवार को घोषित नतीजों से एक बात स्पष्ट हो गई कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राहत की घोषणाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति मतदाताओं की चाहत भारी पड़ी। चुनाव तो दोनों पार्टियों के बीच लड़ा गया लेकिन असल में यह गहलोत बनाम मोदी हो गया। दोनों ने अपने-अपने दलों की ओर से सबसे ज्यादा चुनावी यात्राएं की, सबसे ज्यादा सभाएं संबोधित की और दोनों ने मुख्य रूप से एक-दूसरे को निशाने पर रखा। मोदी के प्रति राजस्थान की जनता की दीवानगी नई नहीं है, लोकसभा के 2014 और 2019 के लगातार दो चुनाव में राजस्थान की पूरी पच्चीस की पच्चीस सीटें भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ मोदी के नाम पर दी।


राजस्थान का मतदाता इस बात पर पूरी तरह स्पष्ट है कि देश में सरकार चलाने के लिए मोदी का फिलहाल कोई विकल्प नहीं है। लेकिन राजस्थान के मामले में मतदाताओं को भाजपा के प्रदेश स्तर के नेताओं पर मोदी जैसा विश्वास नहीं है। इसी कारण भाजपा 2018 के चुनाव में 73 सीटों पर अटक गई थी। इस बार भी यदि भाजपा सत्ता के द्वार पर पहुंची है तो कोई प्रदेश स्तरीय नेता इसके श्रेय पर दावा करने की स्थिति में नहीं है।


इस बार के पूरे चुनाव प्रचार अभियान पर नजर डाली जाए तो स्पष्ट है कि भाजपा की तरफ से पीएम मोदी ने पूरा चुनाव अपने स्तर पर और कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने स्तर पर लड़ा। इन दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में सबसे लंबी यात्राएं की और सबसे ज्यादा सभाओं को संबोधित किया। ऐसा नहीं है कि दोनों तरफ से इन दोनों नेताओं के अलावा नेता नहीं आए, लेकिन जो भीड़ मोदी की सभाओं और रैलियों में दिखी वह भाजपा के अन्य नेता की सभाओं में नहीं दिखी। इसी तरह गहलोत जितना आकर्षण खासकर ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस के अन्य नेताओं का नजर नहीं आया।

यह भी पढ़ें

चुनाव हारते ही ‘बेरोज़गारों’ के अध्यक्ष उपेन यादव ने ले डाला ये बड़ा फैसला



इन सभाओं में दिए गए इनके भाषणों का विश्लेषण किया जाए तो साफ पता चलेगा कि जहां पीएम मोदी ने लोगों को अपनी यानी मोदी गारंटी का वादा किया वहीं सीएम गहलोत ने अपने भाषणों में राहत योजनाओं और गारंटियों का ही जमकर प्रचार किया। पीएम मोदी ने तो यहां तक कहा कि राजस्थान में भाजपा का चेहरा कमल का फूल है, आप फूल पर ही बटन दबाएं और डबल इंजन की सरकार बनाकर राजस्थान के अवरुद्ध पड़े विकास का मार्ग प्रशस्त करें। राजस्थान की जनहितकारी योजनाएं जारी ही नहीं रहेंगी बल्कि और मजबूत की जाएंगी, यह ..मोदी की गारंटी.. है।


लगता है यह बात राजस्थान के मतदाताओं के गले उतर गई। सीएम गहलोत ने चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले ही लगभग हर जिले के राहत कैम्प का खुद दौरा कर मतदाताओं से सीधा सम्पर्क साधा और चुनाव आचार संहिता लागू होने बाद 7 गारंटियों का जमकर प्रचार ही नहीं किया बल्कि लोगों को यह समझाने की भरपूर कोशिश की कि अगर सरकार बदल गई तो ये सारे लाभ जो आज आपको मिल रहे हैं, वे बंद हो जाएंगे। खासकर ग्रामीण और उन मतदाताओं में जिनको इन योजनाओं का लाभ मिला, उनकी बात का असर भी होता हुआ दिखाई दिया, लेकिन गहलोत ने अपनी इस कवायद के दौरान सिर्फ पीआर एजेंसी पर ही भरोसा रखा, लगता है यही गहलोत की सबसे बड़ी चूक रही।

यह भी पढ़ें

बदलाव की बयार में भी वसुंधरा राजे के गढ़ में भाजपा का सूपड़ा साफ

Hindi News/ Jaipur / अशोक गहलोत और कांग्रेस क्यों नहीं समझ पाए हवा का रुख, भाजपा ने इस तरह मारी बाजी

ट्रेंडिंग वीडियो