भाजपा : एक सांसद को फंसी सीट से, बाकी को कम मुश्किल सीट से उतारा चुनाव मैदान में
दरअसल, जिला प्रशासन ने 19 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव के लिए वाहनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिले में चुनाव के लिए करीब तीन हजार वाहन अधिग्रहण किए जाएंगे। नवंबर में ही देवउठनी एकादशी से सावों की शुरुआत होगी, इस दिन राजस्थान में मतदान होगा। जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से दो दिन पहले ही वाहनों की बाड़ेबंदी कर दी जाएगी। बाईस नवंबर को मतदान के लिए दल रवाना कर दिए जाएंगे।
इस बार इसीलिए बढ़ाया किराया
चुनावोें में सर्वाधिक मशक्कत वाहनों के अधिग्रहण को लेकर होती है। परिवहन अधिकारी और पुलिस को वाहन अधिग्रहण की जिम्मेदारी दी जाती है। लेकिन वाहन चालक स्वेच्छा से चुनाव में वाहन को नहीं देते। इसके पीछे कारण था कि निर्वाचन विभाग की ओर से वाहनों की दर कम थी। इसी को देखते हुए अब निर्वाचन विभाग ने वाहनों की दरों को बढ़ाया है। इतना ही नहीं जिला निर्वाचन विभाग की ओर से वाहनों को स्वेच्छा से चुनाव ड्यूटी में देने की अपील की है।
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इस तरह पड़ेगी वाहनों की जरूरत
मतदान केंद्रों पर पोलिंग पार्टियों को लाने-ले जाने के लिए 19 विधानसभा क्षेत्रों के लिए कुल 2238 बसों की जरूरत पड़ेगी। इसी तरह ऑफिसर्स के उपयोग के लिए 440 गाड़ियां, पर्यवेक्षकों के लिए 50, आरओ, एआरओ, लाइजनिंग ऑफिसर्स और विभिन्न प्रकोष्ठ के लिए 60, वीडियो सर्विलांस टीम, स्टेटिक सर्विलांस टीम, फ्लाइंग स्क्वॉड के लिए 150 और सामग्री के लिए 200 ट्रक-ट्रैक्टर की जरूरत पड़ेगी। शेष वाहनों को अन्य कामों में लगाया जाएगा।
इस बार वाहनों को अधिग्रहण करने के लिए दरों को बढ़ाया गया है। इसकी सूची भी निर्वाचन विभाग ने जारी कर दी है। करीब तीन हजार वाहनों को अधिग्रहण करने की तैयारी की जा रही है। -अबू सुफियान, एडीएम, जयपुर