भाजपा-आरएसएस का क्या होगा ‘दखल’?
भजन लाल सरकार में मंत्रिमंडल गठन की कवायद में भाजपा की दिल्ली में बैठे शीर्ष नेतृत्व और नागपुर से संचालित आरएसएस का क्या और कितना रोल रहेगा, सबसे ज़्यादा इसी बात को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गरम है।
माना जा रहा है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री चयन में भाजपा-आरएसएस की भूमिका अहम् रही है, उसी तरह से अब मंत्रिमंडल गठन में भी ये दोनों संगठन अहम् भूमिका में होंगे। ऐसे में अंदरखाने चलने वाली कथित ‘पर्ची’ को लेकर सुगबुगाहट होने।
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नड्डा के बयान से भी मिले संकेत
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक ताज़ा बयान से संकेत मिले हैं कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्यों में नए मंत्रिमंडल गठन को लेकर टास्क किया है। बुधवार को एक न्यूज़ चैनल पर दी प्रतिक्रिया में नड्डा ने कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्यों में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही हर नेता और कार्यकर्ता पर बारीकी से अध्ययन और रिसर्च करने का काम शुरू कर दिया था। साथ ही संभावित मंत्रिमंडल के बारे में भी मंथन शुरू कर दिया था।
नड्डा ने कहा कि चुनाव जीते राज्यों में मंत्रिमंडल गठन कैसे होगा, क्या पहली बार में ही एक साथ 14 मंत्री बना देने हैं, या क्या कुछ को रोककर रखना है, टॉप प्रायरिटी में पहले 10 कौन हो सकते हैं, क्या ‘कॉमबेनेशन’ बैठ सकता है, किन लोगों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है, रिपीट कितनों को करना है, ऐसी हर बारीकी पर शुरू से ही नज़र रखी गई है।
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पर्ची सिस्टम से ही हुआ है सीएम चयन
भाजपा ने इस बार तीनों विजयी राज्यों में पर्ची सिस्टम के अनूठे अंदाज़ के ज़रिये मुख्यमंत्री का चयन किया है। तीन सदस्यीय पर्यवेक्षकों की टीम इन राज्यों में भेजकर आखिरी समय में दिल्ली से आई पर्ची से मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हुआ। पार्टी का ये पर्ची सिस्टम चर्चाओं में बना हुआ है।