दरअसल, अशोक चांदना को कांग्रेस ने उपचुनाव में सलूंबर विधानसभा का सीनियर ऑब्जर्वर बनाया है। इसी के चलते वे रविवार को क्षेत्र के ब्लॉक कांग्रेस कार्यालय में पहुंचे थे।
12 बार बीजेपी को हराया- चांदना
कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान अशोक चांदना ने कहा कि, “उपरवाले के आशीर्वाद से मैंने 12 इलेक्शन लड़े और लड़वाए हैं। पंजाब, गुजरात और राजस्थान में मिलाकर 12 बार बीजेपी को हराया है। मेरा रिकॉर्ड मत खराब कर देना, मुझे पार्टी ने भेज दिया है। ये सन्देश देने का मौका है कि राजस्थान की सरकार जबसे आई है कभी तो बिजली के बिल बढ़ा रही है। कभी ट्रांसफर कर रही है।” उन्होंने आगे कहा कि, “उप चुनाव में देश के अंदर संदेश जाएगा कि जब कांग्रेस पार्टी की राजस्थान में सरकार थी तब पहली बार जनता के बिजली का बिल जीरो आया था और अब बिजली का बिल करंट मार रहा है। आगे कहा कि इस सरकार को झटका दे दो ताकि आगे 4 साल और आपको झटका नहीं मिल सके। अभी उप चुनाव में इनको करंट दे दिया तो क्या पता ये भी जीरो बिल ले आएंगे वापस। जीरो बिल लाने के लिए इनको एक बार तो करंट लगाना ही होगा।”
सलूंबर में किया ये दावा
चांदना ने कहा कि सलूंबर को लेकर भाजपा कहती है कि यह हमारी हमारी मजबूत सीट है लेकिन मै कहता हूं कांग्रेस का कार्यकर्ता अगर जाग गया तो पहली सीट भाजपा हारेगी तो वो सलूंबर होगी। उन्होंने कहा कि बस कोई घमंड मत करना, बाकी हम चुनाव को लड़ेंगे और लड़ाएंगे, सबको पार्टी के निर्णय के साथ रहना है। कांग्रेस का नहीं होगा गठबंधन
इधर, प्रत्याशियों के चयन को लेकर सोमवार को राजस्थान कांग्रेस कॉओडिनेशन कमेटी की बैठक आयोजित हुई। जिसमें कांग्रेस ने सभी सीटों पर उम्मीदवार तय किए है। बैठक के बाद डोटासरा ने मीडिया को जानकारी दी कि राजस्थान के उपचुनाव में कांग्रेस का किसी भी दल से गठबंधन नहीं होगा, हम सभी सातों सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस का कार्यकर्ता किसी से डरता नहीं है। डोटासरा ने कहा कि इंडिया गठबंधन का मामला केंद्रीय स्तर पर है, राजस्थान के उपचुनाव में नहीं। हमने सातों सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए हैं।
इन सीटों पर होगा उपचुनाव
मालूम हो कि 13 नवंबर को राजस्थान की 7 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। प्रदेश की रामगढ़ (अलवर), दौसा, झुंझुनूं और देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी और सलूंबर सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव के परिणामों में इनमें से भाजपा के पास केवल 1 सीट थी, वहीं कांग्रेस के पास 4 सीटें थी। इसके अलावा एक सीट बाप और एक सीट RLP के पास थी।