1- गजेन्द्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री
-शहर और ग्रामीण पर्यटन का अलग-अलग सर्किट बनने की संभावना है।-प्रदेश सांस्कृतिक विरासत, हैरिटेज का भी केन्द्र है। इस दृष्टि से अलग-अलग कॉरिडोर विकसित किए जा सकते हैं।
-पुष्कर, खाटूश्यामजी एवं सालासर बालाजी को महाकालेश्वर एवं काशी कोरिडोर की तर्ज पर विकसित करने से प्रदेश में धार्मिक पर्यटन बढावा मिलेगा।
-नाइट टूरिज्म को बढावा देने में मदद की जा सकती है।
-प्रमुख पर्यटन शहरों के बीच कनेक्टिविटी का दायरा बढ़े। नागरिक उड्डयन मंत्रालय, सड़क परिवहन और रेल मंत्रालय के साथ मिलकर काम हो।
-प्रदेश में नए होटल और टूरिज्म मैनेजमेंट संस्थान खुलें।
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2- भूपेन्द्र यादव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री
-केवल पौधरोपण के बजाय वन पुनर्स्थापन को बढ़ावा देने के आधार पर बजट मिले।-प्राकृतिक जलवायु समाधानों के क्रियान्वयन पर फोकस करने की जरूरत।
-राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व सहित वन क्षेत्रों में वर्षा जल संचय सुनिश्चित करने के लिए संरचनाओं के विकास में मदद की जरूरत। साथ ही टाइगर व लेपर्ड रिजर्व में वन्यजीवों के लिए प्रेबेस यानी भोजन बढ़ाया जाए। इसके लिए अलग से योजना बने ताकि उनकी आबादी में आवाजाही न हो।
-जैव विविधता संरक्षण के लिए घर से वन तक जैव-विविधता के संरक्षण के लिए विशेष योजना बने।
-टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में आने वाले गांवों के री-लोकेशन को लेकर नई योजना की जरूरत। प्रक्रिया आसान और सरल बने और मुआवजा राशि बढाई जाए।
-राजस्थान की भूमि चीतों को बसाने के लिए बेहतर है। चीता प्रोजेक्ट को लेकर खाका तैयार किया जाए। कमेटी भी इस पर मुहर लगा चुकी है। गत दिनों चीते की यहां घुसपैठ भी देखी गई।
-प्रदेश में हरियाली बढ़ाने, चारागाहों की स्थिति में सुधार करने, वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने समेत कई अहम कार्य पर फोकस हो।
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3- भागीरथ चौधरी, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री
-वर्ष 2015-16 के बजट में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया गया था, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी, लेकिन अभी तक फैसला नहीं हो पाया। अब किसानों को उम्मीद।-खाद, बीज और कीटनाशक गुणवत्तापूर्ण होने के साथ समय पर उचित दर पर मिले तो खेती की लागत कम आए।
-कृषि सुधारों के लिए आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन-विपणन, सुधार अधिनियम 2017 का ड्राफ्ट सभी राज्यों को भेजा था। इसमें किसानों को एमएसपी से कम फसलों का क्रय-विक्रय नहीं हो, एमएसपी पर ही मंडियों में बोली लगे, 7 साल बाद भी ये अधिनियम लागू नहीं हो पाया।
-आयात-निर्यात नीति स्थानीय किसानों के अनुकूल बने। देश की 50 फीसदी सरसों अकेले राजस्थान में होती है, फिर भी सरकार पॉम ऑयल का आयात करती है। सरकार ने आयात शुल्क शून्य कर दिया है, जिससे सरसों के दामों में गिरावट आ रही है। प्रदेश में सरसों को बढ़ावा मिलने की दृष्टि से काम हो।