भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ अभिजीत दास का कहना है कि पीली और सफेद मक्का में काफी समानताए हैं। सफेद और पीले मक्का में केरोनाइट नाम के रसायन को छोड़कर सब कुछ एक समान ही होता है। पीली मक्का में केरोनाइट नाम का तत्व होता है, जिसके कारण ही इसका रंग पीला होता है। जबकि सफेद मक्का में यह तत्व नहीं होने के कारण मक्का का रंग सफेद हो जाता है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक देश में जम्म-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, बिहार और राजस्थान के साथ ही कई अन्य राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों में सफेद मक्का को लोग ज्यादा पसंद करते हैं। इस वजह से इन स्थानों पर पीली मक्का के साथ ही सफेद मक्का की खेती भी की जा रही है।
पोषक तत्वों से होती है भरपूर
कृषि वैज्ञानिकों ने सफेद मक्का की कुछ ऐसी किस्में विकसित की जा रही हैं, जिसमें लागत कम आती है जबकि उत्पादन ज्यादा होता है। अच्छी गुणवत्ता की अन्य किस्में विकसित करने पर भी कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान में जुटे हुए हैं। सफेद और पीली मक्का में अगर पोषण की बात की करें तो सफेद मक्का में विटामिन ए नहीं होता है। बाकी अन्य सभी पोषक तत्व इस मक्का में मौजूद होते हैं। केरोनाइट नहीं होने के बाद विटामिन ए की कमी सफेद मक्का में जरूर होती है। सफेद मक्का में एक कमी है, केरोनाइट नहीं होने से इसमें विटामिन ए नहीं होता है। बाकी के सभी पोषक तत्व इसमें भरपूर मात्रा में होते हैं।
खाद्य पदार्थों में होता है उपयोग
सफेद मक्का का उपयोग खासतौर पर राजस्थान, असम, बिहार, सिक्किम, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में किया जाता है। आपको बता दें कि सफेद मक्का से लड्डू, हलवा, सेवइयां, केक, इडली के अलावा अन्य कई खाद्य सामग्री बनाई जा सकती हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने अब तक मक्का की तीन दर्जन से ज्यादा किस्में विकसित की है जो कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के विभिन्न केद्रों की ओर से विकसित की गई हैं।