कोटा उत्तर से विधायक रहे प्रहलाद गुंजल ने कोटा के जीएडी चौराहे पर बड़ा बंगला बनाया है। जिस जमीन पर यह बंगला है, वो उनकी पत्नी जयकंवर गुंजल के नाम है। इस जमीन को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस बंगले के निर्माण के लिए कोटा नगर विकास न्यास (यूआईटी) ने 2015 में सरकार की राज्य स्तरीय भू-उपयोग परिवर्तन समिति से नियम विरुद्ध मास्टर प्लान में बदलाव करवाया। यहां प्लान के तहत सडक़ की तय चौड़ाई को घटाया गया, फिर सिवायक जमीन का पट्टा उनकी पत्नी के नाम जारी किया गया।
1. यूआईटी सचिव ने भेजा राज्य स्तरीय भू-उपयोग परिवर्तन समिति को पत्र
यूआईटी के तत्कालीन सचिव ने 10 सितम्बर 2015 को शिवपुरा ग्राम में विभिन्न खसरों करीब 0.4720 हैक्टेयर भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन के लिए राज्य स्तरीय भू-उपयोग परिवर्तन समिति को पत्र भेजा। इसी तारीख को यूआईटी के तत्कालीन संयुक्त सचिव ने इन्हीं खसरों के करीब 5.83 हैक्टेयर भूमि पर मास्टर प्लान की मुख्य सडक़ की चौड़ाई में शिथिलता बरतने के लिए समिति को पत्र भेजा। हालांकि दोनों पत्रों में जमीन के क्षेत्रफल में अंतर आने पर समिति ने इस पर आपत्ति जताई।
यूआईटी ने जहां जीएडी चौराहे से केशवपुरा की मुख्य सडक़ को 100 फीट से 80 और जीएडी चौराहे से शिवपुरा सडक़ को 160 से 100 फीट करने की अनुशंसा की, वहीं वरिष्ठ नगर नियोजक ने जीएडी चौराहे से केशवपुरा की मुख्य सडक़ को 100 फीट से 80 और जीएडी चौराहे से शिवपुरा सडक़ को 160 से 120 फीट करने की अनुशंसा की थी। इस पर तत्कालीन राज्य स्तरीय समिति ने 28 सितम्बर 2015 को आपत्ति जताई और कहा कि इस मामले को लेकर यूआईटी ने आपत्ति या सुझाव मांगने की निर्धारित प्रक्रिया पूरी नहीं की है। साथ ही प्रभावित और शिथिलता देने वाली सडक़ों का सर्वे अधूरा है। न्यास ने इसके लिए कोई औचित्यपूर्ण टिप्पणी भी नहीं की है। अत: समिति ने इस प्रकरण को लौटा दिया।
कोटा यूआईटी के तत्कालीन सचिव ने 5 नवम्बर 2015 को फिर से इसका प्रस्ताव राज्य स्तरीय समिति को भेजा, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि रावतभाटा रोड से जीएडी र्सिकल तक सडक़ की चौड़ाई अलग-अलग है। कहीं ज्यादा है तो कहीं कम। कोटा डेयरी और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के सामने 24.27 से 30.66 मीटर तक सडक़ चौड़ाई है। इसके बाद चित्रगुप्त कॉलोनी के सामने जीएडी र्सिकल के समीप सडक़ की न्यूनतम चौड़ाई 28.98 मीटर और स्टेडियम के सामने 28.59 मीटर है। सडक़ के एक ओर आरएएसी, विधि विज्ञान प्रयोगशाला तो दूसरी ओर कोटा डेयरी है। जिन्हें सरकार ने भूमि आवंटित की है, और हटाया जाना संभव नहीं है। ऐसे में यहां सडक़ की चौड़ाई बढ़ाना संभव नहीं है। ऐसे में सडक़ की चौड़ाई में छूट दी जा सकती है।
1 दिसम्बर 2015 को राज्य स्तरीय समिति की बैठक में कोटा यूआईटी और वरिष्ठ नगर नियोजक कोटा जोन के प्रस्ताव पर निर्णय किया। इसके तहत जीएडी र्सिकल से शिवपुरा को जाने वाली सडक़ की चौड़ाई 160-200 फीट से घटाकर 30 मीटर (100 फीट) तक कर दी। हालांकि यह शिथिलता सिर्फ जीएडी सर्किल से चित्रगुप्त कॉलोनी और आरएएसी मैदान तक दी गई। इससे गुंजल की पत्नी समेत चंद लोगों को ही फायदा मिला। इसी तरह गुंजल के बंगले के मुख्य द्वार के सामने की जीएडी चौराहे से केशवपुरा सडक़ की चौड़ाई 80-120 फीट से घटाकर 80 फीट कर दी।
मास्टर प्लान में साफ दे रखा है कि सभी वर्तमान सार्वजनिक मार्ग जिन्हें प्रमुख, उप प्रमुख और मुख्य सडक़ों के रूप में उपयोग किया जाना प्रस्तावित है। वे जहां तक संभव हो मानक चौड़ाई के होंगे। यदि शहर के भीतरी स्थानों पर कुछ बाधाओं के कारण व शहर के बीच सडक चौड़ी करना संभव नहीं हो या फिर चौड़ाई बढ़ाने के लिए भारी निवेश करना पड़े या अधिक संख्या में इमारतों को तोडऩा पड़े तो मानक में बदलाव किया जा सकता है।
चित्रगुप्त कॉलोनी में तत्कालीन विधायक गुंजल की पत्नी जय कंवर गुंजल ने करीब 23041 वर्ग फीट जमीन के लिए पट्टा लेने का आवेदन किया। इसमें से 15041 वर्ग फीट खातेदारी और 8000 वर्गफीट जमीन सिवायक (यूआईटी) के खाते की थी। यूआईटी ने राज्य सरकार के 6 जनवरी 2016 के परिपत्र का हवाला देते हुए यूआईटी ने 30 सितम्बर 2016 को 1671.22 वर्ग गज खातेदारी और 500 वर्ग गज यूआईटी भूमि का पट्टा जारी कर दिया। जबकि शेष यूआईटी भूमि के पट्टे के लिए सरकार को प्रकरण भेज दिया।
मंजीत सिंह : तत्कालीन स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख सचिव और राज्य स्तरीय भू-उपयोग परिवर्तन समिति के अध्यक्ष, इंदिरा चौधरी : तत्कालीन सदस्य सचिव, भू-उपयोग परिवर्तन समिति व मुख्य नगर नियोजक