scriptYamuna Water Deal: राजस्थान में यमुना का पानी आने से पहले ही रार, कांग्रेस ने बताया ’छल’ तो भाजपा ने दे दिया ये जवाब | Politics in Rajasthan on the issue of Yamuna water project in Shekhawati | Patrika News
जयपुर

Yamuna Water Deal: राजस्थान में यमुना का पानी आने से पहले ही रार, कांग्रेस ने बताया ’छल’ तो भाजपा ने दे दिया ये जवाब

Yamuna Water Deal: शेखावाटी में यमुना जल प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए डीपीआर की कवायद शुरू हो गई है। इस बीच पानी के बंटवारे पर रार सामने आ रही है।

जयपुरJan 11, 2025 / 09:56 am

Anil Prajapat

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Yamuna Water Deal: सीकर। शेखावाटी में यमुना जल प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए डीपीआर की कवायद शुरू हो गई है। इस बीच पानी के बंटवारे पर रार सामने आ रही है। भाजपा की ओर से जहां हरियाणा व राजस्थान के बीच समझौता होने के साथ इस प्रोजेक्ट की डीपीआर पर काम शुरू करने का दावा किया जा रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस पूरी योजना पर सवाल उठाए है।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने शुक्रवार को ट्वीट कर राज्य सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि यमुना जल नहीं, राजस्थान के साथ ’छल’ है। राज्य की भाजपा सरकार ने यमुना जल समझौते को लेकर राजस्थान की जनता के साथ विश्वासघात किया है।
एमओयू में राजस्थान के हितों को गिरवी रखकर हरियाणा को मालिक बनाने वाली भाजपा सरकार शेखावाटी की जनता को भ्रमित करके वाह-वाही लूटना चाहती है।

डोटासरा ने कहा कि 17 फरवरी 2024 को राजस्थान और हरियाणा के बीच नए सिरे से डीपीआर बनाने के लिए हुए एमओयू में 1994 के मूल समझौते की शर्तों का उल्लंघन है।
किसान संगठनों का भी आरोप है कि हरियाणा के आगे राजस्थान सरकार समर्पण कर चुकी है। इस मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष कमल सिखवाल का कहना है कि यमुना जल समझौता में प्रदेश व शेखावाटी की जनता को उनका पूरा हक मिलेगा।
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किसान नेता: एक साल में नहीं बनी डीपीआर

किसान संगठनों कांग्रेस का सवाल है कि एक साल में भाजपा सरकार डीपीआर भी नहीं बनवा सकी है, पता नहीं पानी कब तक आएगा। किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार को 17 जून 2024 तक नई डीपीआर बनानी थी।
डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने मूल समझौते में 31,000 करोड़ की डीपीआर बनाकर केंद्रीय जल आयोग को भेजी थी, लेकिन तब केंद्र की मोदी सरकार ने परियोजना को आगे बढ़ने नहीं दिया।
1994 के मूल समझौते के अनुसार राजस्थान के तीन जिलों को 1.19 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना था। मूल समझौते के अनुसार सभी राज्यों को प्रो राटा बेसिक यानी पानी की उपलब्धता के अनुपात के अनुसार पानी मिलना था।

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