आइआइटी कानपुर से एमटेक की डिग्री हासिल की और अमरीका से एमबीए किया। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में उन्होंने अनेक प्रमुख पदों पर अपनी सेवाएं दी और 2010 में सिविल सेवा छोड़कर प्राइवेट सेक्टर से नाता जोड़ा। उनका विविधता भरा अनुभव है। अब केन्द्रीय मंत्री के रूप में वे रेल, सूचना-प्रौद्योगिकी और संचार जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे हैं।
व्यस्त मार्गों पर कन्फर्म टिकट आसानी से नहीं मिल पाते। समाधान के लिए क्या योजना है?
रेलों में साल में 800 करोड़ यात्री सफर करते हैं। प्रतिदिन ढाई-तीन करोड़ यात्रीभार है। डिमांड फिर भी ज्यादा है यानी नेटवर्क को दो गुना करना होगा। इस कारण ज्यादा निवेश जरुरी है। निवेश 40 हजार करोड़ था उसे डेढ़ लाख करोड़ पर लेकर गए। रेल बजट को आम बजट में शामिल करने का भी यही कारण है। आने वाले समय में इसके परिणाम देखने को मिलेंगे।
बांसवाड़ा, टोंक जिला मुख्यालय आज भी रेल सेवा से वंचित हैं, जबकि घोषणा 2011 व 2015 में हो चुकी। भीलवाड़ा में मेमू कोच फैक्ट्री भी शुरू नहीं हो पाई है। जनता की उम्मीदें कब पूरी होंगी?
राजस्थान को 8 साल पहले तक 750 करोड़ रुपए हर साल मिलते थे। इस साल 7568 करोड़ रुपए दिए गए, जो पहले दी जा रही राशि का 10 गुना है। काम करने के लिए फंड चाहिए, परिणाम दिखने में 3-4 साल लगते हैं, जल्द ही असर देख सकेंगे। रेलवे बड़ा नेटवर्क है रिजल्ट दिख रहे हैं बहुत सारे रेलवे स्टेशनों का पर काम हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि नई घोषणाओं की जगह पर पहले से चल रहे प्रोजेक्ट को पूरा करें।
राज्य के विकास को गति देने के लिए आपका कोई सपना है?
सेना, मेडिकल, उद्योग, पत्रकारिता में राजस्थान के लोगों का बड़ा योगदान है। इनकी अपनी अलग पहचान है। वाटर सप्लाई, हेल्थ केयर पर काम हुआ, पर अभी काफी काम करने की जरूरत है।