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ओटीएस का एक भी प्लान नहीं आया काम, टोंक फाटक पर भी यातायात अव्यवस्थित

शहर की सडक़ों पर दिनों दिन वाहनों का दबाव बढ़ रहा है। कुछ वर्ष पहले जो सडक़ें सूनी रहती थीं। वहां पर अब वाहनों का दबाव इतना हो गया है कि वहां से निकलना मुश्किल हो रहा है। इन सडक़ों और क्षेत्रों को चिन्हित कर अब वहां पर सुगम यातायात की राह तलाशने का काम […]

जयपुरDec 22, 2024 / 06:09 pm

Amit Pareek

jaipur

ओटीएस चौराहे पर ये हाल

शहर की सडक़ों पर दिनों दिन वाहनों का दबाव बढ़ रहा है। कुछ वर्ष पहले जो सडक़ें सूनी रहती थीं। वहां पर अब वाहनों का दबाव इतना हो गया है कि वहां से निकलना मुश्किल हो रहा है। इन सडक़ों और क्षेत्रों को चिन्हित कर अब वहां पर सुगम यातायात की राह तलाशने का काम शुरू होगा। सरकार ने जेडीए को इसकी जिम्मेदारी दी है। टोंक रोड पर वाहनों का दबाव बढऩे और रामबाग पर पीक ऑवर्स में जाम की स्थिति होने पर वाहन चालकों ने सहकार मार्ग को चुना। अब सहकार मार्ग के हालात भी बिगड़ चुके हैं।
सीकर रोड, जेएलएन मार्ग, टोंक रोड, 200 फीट बाइपास, 22 गोदाम सर्किल और सहकार मार्ग के आस-पास के क्षेत्र में ट्रैफिक सुधार की योजना बनाने पर काम शुरू करेगा।

कारण पर करना होगा काम
-सीकर रोड पर बीआरटीएस का उपयोग नहीं हो रहा है। दोनों ओर वाहन चलते हैं और चौराहों वाहन चालक क्रॉस करते हैं तो जाम लगता है। बीआरटीएस का उपयोग करना होगा।

-टोंक रोड: नारायण सिंह तिराहा और रामबाग सर्कल पर सबसे बुरा हाल रहता है। रामबाग सर्कल को पूर्ववर्ती सरकार ने ट्रैफिक लाइट फ्री बनाने का प्लान बनाया, लेकिन काम चालू नहीं हो पाया।
-200 फीट बाइपास: भांकरोटा से सिरसी रोड को जोडऩे वाली सेक्टर रोड काम काम बंद है। ऐसे में रोज हजारों वाहन बाइपास की सर्विस रोड का उपयोग करते हुए आते हैं। पीआरएन में भी ज्यादातर सेक्टर रोड अधूरी पड़ी है। हाईटेंशन लाइन के समानांतर सडक़ें भी पूरी नहीं बनी हैं।
-22 गोदाम सर्कल और सहकार मार्ग: 22 गोदाम और आस-पास के क्षेत्र में वाहनों का दबाव बढ़ रहा है। रेलवे ट्रैक के सामानांतर सडक़ का सही उपयोग नहीं हो रहा है।

नौ वर्ष में चार प्लान, काम एक पर भी नहीं
ओटीएस चौराहे के ट्रैफिक को सुधारने के लिए जेडीए ने नौ वर्ष में चार प्लान बनाए, लेकिन एक भी धरातल पर नहीं उतर पाया। एक्सपर्ट की मानें तो इन वर्षों में चौराहे पर वाहनों का दबाव पांच गुना तक हो गया। लेकिन, जमीन का अभाव होने की वजह से जेडीए प्लान को मूर्तरूप नहीं दे पाया।
वर्ष 2015 में जेडीए ने तीन प्लान बनाए। वर्ष 2020 में केबल स्टे एलिवेटेड ब्रिज और अंडरपास डिजाइन किया गया। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इस प्रोजेक्ट को वापस ले लिया था।

जमीन नहीं मिलने से प्लान अधूरा
सहकार मार्ग अंडरपास भले ही चालू हो गया हो, लेकिन टोंक पुलिया के नीचे से वाहनो की आवाजाही हो रही है। प्लान के मुताबिक, टोंक फाटक के आने वाले वाहनों का पुलिया की ओर आना प्रतिबंधित है। यहां जेडीए ने बोर्ड भी लगा रखे हैं। हालांकि, जेडीए रेलवे से जमीन लेने के प्रयास कर रहा है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।
इन पर भी काम जरूरी

-फीडर नेटवर्क ऑफ पब्लिक ट्रांसपोर्ट शून्य हो चुका है। वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है।

-मुख्य सडक़ें तो चौड़ी हो गई हैं, लेकिन कॉलोनियों की सडक़ें संकरी है। इससे वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित हो रही है।
-प्रमुख मार्गों पर बस और टैक्सी स्टैंड नहीं हैं। मनमर्जी से वाहन खड़े हो जाते हैं। इससे यातायात बाधित होता है। साइकिल ट्रैक और पैदल चलने वाले लोगों को जगह नहीं है। इनके लिए भी काम करने की जरूरत है।
पीक ऑवर्स में ट्रैफिक फ्लो का वैज्ञानिक अध्ययन करना चाहिए। इससे वाहनों के प्रकार और संख्या के आधार पर समाधान करना होगा। इसके अलावा मनमानी के बाजारों पर भी अंकुश लगाना होगा। पार्किंग की व्यवस्था भी करनी होगी। जंक्शन पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। 200 मीटर तक बस व अन्य वाहन रोकते ही चालान का प्रावधान करना होगा।
-नेहा खुल्लर, ट्रैफिक एक्सपर्ट

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