यहां ये बताना जरूरी हो जाता है कि राज्य में चाहे बीजेपी की सरकार रही हो या कांग्रेस की, दोनों ही दलों में से किसी भी रसूखदार का नाम उजागर नहीं किया गया। हालांकि मुद्दे समय समय पर उठते रहते हैं, लेकिन कभी सरकार के किसी करीबी का नाम जनता के सामने नहीं आ पाया। हमारे दर्शकों को बता दें कि पत्रिका ने ‘मर गया रामगढ़, कौन करेगा जिंदा’ अभियान के तहत लगातार समाचार प्रकाशित कर रामगढ़ बांध की दुर्दशा उजागर की थी।
गौरतलब है कि लोकसभा में बुधवार को भी सांसद हनुमान बेनीवाल MP hanuman beniwal ने अंतरराज्यीय जल विवाद संशोधन विधेयक की चर्चा पर बोलते हुए विभिन्न मुद्दों व मामलों को सदन में रखा। उन्होंने 31 दिसंबर 1981 को पंजाब-हरियाणा तथा राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के मध्य रावी व्यास नदियों के जल बंटवारे Water sharing of Ravi Vyas rivers के संबंध में हुए समझौते की तरफ जलशक्ति मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि समझौते में प्रावधान होने के बावजूद राजस्थान को उसके हिस्से का संपूर्ण पानी नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी नहर प्रणाली के विकास के बाद राजस्थान अपने संपूर्ण पानी को उपयोग करने की स्थिति में है।
वाजपेयी का किया स्मरण
सांसद बेनीवाल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सदन में जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने नदियों को जोड़ने की बात पहली बार कही, क्योंकि अगर नदी जोड़ो परियोजना मूर्त रूप लेती है तो किसानों के प्रत्येक खेत में सिंचाई का पानी पहुंच सकेगा।
सांसद हनुमान बेनीवाल ने पंजाब के हिस्से से राजस्थान में आ रहे नहरी पानी में बढ़ते प्रदूषण की तरफ भी सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जो औद्योगिक इकाइयां दूषित पानी नहर में छोड़ रही है, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए। दूषित पानी की वजह से पूरा राजस्थान प्रभावित हो रहा है, साथ ही उन्होंने इस मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करने की भी गुहार की।
हनुमान बेनीवाल ने आजादी से पूर्व गोचर श्रेणी कि भूमि पर बसे हुए बंजारा, गाडिया लोहारों, घुमंतू जातियों, एसबीसी -एसटी व एससी समाज की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह लोग अब प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें प्रशासन न्यायालय के निर्णय की आड़ में हटा रहे हैं। सांसद ने राजस्थान के नागौर जिला मुख्यालय के समीप ताऊसर के पास राजस्व ग्राम रामनाडा बंजारा बस्ती व बीकानेर जिले के नोखा के पास साठीका गांव की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यहां के बाशिंदे आजादी के पहले से रह रहे हैं। इंदिरा आवास एपीएम आवास एयोजना से मकान यहां बन गए, लोगों के राशन कार्ड व आधार कार्ड बने हैं, लेकिन प्रशासन अब न्यायालय के निर्णय की वजह से इन्हें बेदखल कर रहा है, जबकि इन्होंने गोचर की एवज में दूसरी जमीन राजहक में समर्पित कर दी। इसके बावजूद उन्हें बेदखल किया जा रहा है। उन्होंने इस मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करते हुए सेट अपार्ट के तहत गोचर की एवज में दूसरी जमीन राजहक में समर्पित कर चुके लोगों को बेदखल नहीं करने की मांग की।