यही नहीं केंद्रों पर कुर्सी-टेबल की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते बच्चों को दरी पट्टी पर बैठाकर ही पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को सर्दी नहीं लगती ? एक ही प्रदेश के बच्चों के लिए अलग-अलग नियम क्यों ?
दरअसल, आंगनबाड़ी केंद्रों पर शीतकालीन अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा पोषाहार भी केंद्र पर ही दिया जाता है। यही वजह है कि बच्चों को आना पड़ रहा है। इस समय पर जिले में रात का तापमान 7 डिग्री के आसपास है, वहीं दिन का तापमान 18 डिग्री से. के आसपास है।
इस वजह से तेज सर्दी का असर बना हुआ है, लेकिन सरकार को ठंड से धूजते बच्चे नजर नहीं आ रहे हैं। राजस्थान में 65 बाल विकास परियोजना में करीब 62 हजार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। अलवर में करीब 80 हजार बच्चे केंद्रों पर पंजीकृत है।
ठंड से बचाव के इंतजाम भी नहीं
आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं, जिसमें बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है, न फर्नीचर है और न सर्दी से बचाव के इंतजाम। केंद्रों पर जमीन पर बैठकर बच्चों को पढ़ना पड़ रहा है। बहुत से केंद्रों पर तो बारिश के चलते दीवारों पर सीलन आ रही है। सर्दी तेज है। मगर बच्चों को पढ़ाई व पोषाहार के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर आना पड़ रहा है। पिछले साल तेज सर्दी होने पर अवकाश घोषित कर दिया था, लेकिन इस बार कोई आदेश नहीं आए हैं। सरकार चाहे तो कार्यकर्ता व सहायिका को बुला सकती है, लेकिन बच्चों को ठंड से राहत दी जानी चाहिए।
- ओपी बुनकर, प्रदेशाध्यक्ष, अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ, जयपुर