Monsoon Forecast: भारतीय मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि अल नीनो के प्रभाव के बावजूद इस साल मानसून सामान्य रहने के आसार हैं। देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह अहम भविष्यवाणी है। मौसम विभाग के मुताबिक चार जून को मानसून केरल में दस्तक देगा।
जयपुर•May 27, 2023 / 01:41 pm•
Anand Mani Tripathi
Heavy Rain In July Normal Rainfall In June Despite El Nino
Monsoon Forecast: भारतीय मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि अल नीनो के प्रभाव के बावजूद इस साल मानसून सामान्य रहने के आसार हैं। देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह अहम भविष्यवाणी है। मौसम विभाग के मुताबिक चार जून को मानसून केरल में दस्तक देगा। यह लगातार पांचवां साल है, जब देश में मानसून सामान्य रहेगा। इस साल औसत के 96 फीसदी बारिश की संभावना है। हालांकि उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से कम बारिश के आसार हैं। राजस्थान इसी क्षेत्र में आता है।
मौसम विभाग ने शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिमी मानसून को लेकर पूर्वानुमान जारी किया। विभाग का कहना है कि जून में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। जून में यह सामान्य से 92 फीसदी तक कम रह सकती है। जुलाई में मानसून पीक पर रहने के आसार हैं। इस दौरान सर्वाधिक बारिश होगी। आइएमडी के मुताबिक इस साल मानसूनी बारिश का लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) 96 फीसदी रह सकता है।
उत्तर-पश्चिम भारत में यह औसत 92 फीसदी से कम रह सकता है। विभाग के एनवायरमेंट मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर के प्रमुख डी. शिवानंद पई ने बताया कि जून में देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से कम बारिश के आसार हैं। सिर्फ दक्षिण पेनिनसुला और उत्तर भारत के कुछ इलाकों में बारिश सामान्य रह सकती है। मानसून जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है।
अल नीनो का नहीं होगा ज्यादा असर
पहले आशंका जताई जा रही थी कि दक्षिण पश्चिमी मानसून सीजन में बारिश औसत से कम रह सकती है। विभिन्न इलाकों में बारिश के विषम वितरण की आशंका भी जताई गई थी। प्रशांत महासागर में अल नीनो के प्रभाव के कारण औसत से कम बारिश की बात कही जा रही थी। अब मौसम विभाग ने साफ कर दिया है कि मानसून पर अल नीनो का खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
16 में सात बार सामान्य रहा है अल नीनो
आइएमडी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सोमा सेनरॉय ने कहा, हमारा पूर्वानुमान है कि अल नीनो के बावजूद हिंद महासागर डिपोल पॉजिटिव रहेगा। यूरेशियन बर्फ की चादर भी हमारे लिए अनुकूल है। सिर्फ एक फैक्टर से मानसून प्रभावित नहीं होता। हमारे मानसून पर दो-तीन वैश्विक कारक असर डालते हैं। मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 16 मानसून सीजन में जब-जब अल नीनो रहा है, नौ बार यह औसत से कमजोर और सात बार सामान्य रहा।
अमरीकी एजेंसी ने जताई थी आशंका
अमरीका के नेशनल ओसिनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनस्ट्रेशन (एनओएए) ने दावा किया था कि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो प्रभाव की आशंका है। मई-जून में यह आशंका 80 फीसदी जब कि जुलाई-अगस्त में 90 फीसदी है। इससे दक्षिण पश्चिमी मानसून की शुरुआत में खलल पड़ सकता है। एनओएए की रिपोर्ट में कहा गया कि अल नीनो इफेक्ट के कारण जहां मानसून में बारिश कम होगी, वहीं बारिश में काफी असमानता देखने को मिलेगी।
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