मिनी उर्स के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था एवं सुविधा आदि को लेकर जिला प्रशासन एवं पुलिस तथा दरगाह कमेटी ने मंथन शुरू कर दिया है। मिनी उर्स में आने वाले जायरीनों को प्रशासन की ओर से कायड़ विश्राम स्थली पर ठहराया जाएगा और बरसात के मौसम को देखते हुए अतिरिक्त इंतजाम भी किए जाएंगे। इसके लिए दरगाह कमेटी ने तैयारियां शुरू कर दी है। मोहर्रम के मौके पर हर वर्ष होने वाले परंपरागत कार्यक्रम होंगे।
चांद की पहली से दस तारीख के बीच होने वाले इन कार्यक्रमों में चार तारीख को बाबा फरीद का चिल्ला खोला जाएगा और मोहर्रम की पांच तारीख को बाबा फरीद का उर्स भी मनाया जाएगा। मोहर्रम की छह तारीख को ख्वाजा साहब की महाना छठी तथा सात तारीख को मेहंदी की रस्म अदा की जाएगी। मोहर्रम की आठ तारीख को बड़े ताजिए की सवारी, नौ तारीख को हाईदौस तभी दस तारीख को ताजिए व डोले की सवारियां निकालकर उन्हे झालरे में सेराब किया जाएगा। ताजिए की सवारी का धार्मिक परंपरा के तहत पूरी रात आयोजन होगा और हाईदौस खेलने के लिए जिला प्रशासन की मंजूरी पर पुलिस के मालखाने से सौ तलवारें जारी की जाएगी।
यह कार्यक्रम भी देर रात होगा और इस दौरान जिला एवं पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी तथा चिकित्सा विभाग की टीम ढाई दिन के झोंपड़े के समीप अंदरकोट पर मौजूद रहेगी। मोहर्रम के दौरान दरगाह शरीफ में कव्वालियों का दौर थम जाएगा और खादिम समुदाय हरे लिबास (कुर्ते) में रहकर हुसैनी रंग में ढला नजर आएगा। मोहर्रम करबला में हुए शहीदों की याद में मनाया जाता है। उधर मोहर्रम के मौके पर तारागढ़ पहाड़ी स्थित शिया समुदाय भी काले लिबास में मोहर्रम गमगीन माहौल में मनाएगा। यहां भी मेहंदी एवं लच्छा चढ़ाने की रस्म परंपरागत तरीके से मनाई जाएगी। मिनी उर्स के दौरान दूरदराज से आने वाले जायरीन एवं अकीदतमंद ख्वाजा साहब की दरगाह की जियारत के साथ साथ तारागढ़ स्थित मीरां साहब की दरगाह तथा सरवाड़ में ख्वाजा साहब के साहबजादे ख्वाजा फखरुद्दीन की दरगाह पर हाजिरी लगाने पहुंचेंगे। इस दौरान इन क्षेत्रों में रौनक और मेले जैसा माहौल बना रहेगा।