पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ाएगा करवा चौथ पर ये काम, भूलकर भी न करें ये गलती
प्राचीन मान्यता
ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने अर्जुन की रक्षा के लिए द्रोपदी से चौथ का व्रत करवाया था। तब ही से करवा चौथ की परंपरा चली आ रही है। चंद्र का स्थान नेत्रों के बीच माना गया है। यही केंद्र बिंदु प्रेम भाव का भी है। इसलिए जीवन साथी के प्रति प्रेम भाव बढ़ाने में चंद्र दर्शन का बड़ा महत्व है। करवा चौथ को कर्क चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। चतुर्थी का चंद्रमा अमृत कुंड माना गया है। इसी का प्रतीकात्मक रूप मिट्टी का करवा है, जिससे जल ग्रहण करना एक प्रकार से विवाहित जीवन में प्रणय रूपी अमृत पान है।टॉपिक एक्सपर्ट..
आधुनिक समाज हो या प्राचीन मान्यताओं वाला समाज, नारी में समर्पण का भाव हमेशा रहा है। बदलते परिवेश में पाश्चात्य संस्कृति का प्रचलन ज्यादा होने पर पति भी इस व्रत को रखने लगे हैं। पति भी अपनी पत्नियों के लिए इस उपवास का पालन करते हैं बल्कि इस व्रत के प्रभाव से रिश्ते में मिठास बढ़ती है।करवा चौथ चंद्रोदय का समय
चंद्रोदय का समय रात 8.07 बजेपूजा का सर्वश्रेष्ठ समय- शाम 5.50 से शाम 7.20 बजे तक
चतुर्थी की शुरुआत रविवार सुबह 6.47 से सोमवार सुबह 4.18 बजे तक यह भी पढे़ें: सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में मनेगी करवा चौथ, निर्जल रह कर महिलाएं रखेंगी व्रत