सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने कहा कि करतारपुरा नाला बारिश में ओवरफ्लो हो जाता है और नाले की फेसिंग और उसके पक्का नहीं होने के कारण अतिक्रमण के साथ हादसे हो जाते हैं। इसके अलावा अभी तक नाले की सीमा भी तय नहीं है। इसके चलते अतिक्रमण नहीं रुक पा रहे है।
दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि नाले में निजी खातेदारी की भूमि भी आ रही है। इसके अलावा यहां हुए अतिक्रमणों के वर्तमान हालात जानने के लिए पीटी सर्वे करना जरूरी है। अदालत ने जेडीए को पीटी सर्वे कराने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है। जनहित याचिका में कहा गया कि करतारपुरा नाले में जगह-जगह अतिक्रमण है और नाला पक्का भी नहीं है। वहीं नाले की चौडाई भी घोषित नहीं है। जिसके चलते यहां कई जगहों पर नाले की चौडाई कुछ फीट ही रह गई है।