लंबे इंतजार के बाद परियोजना के क्रियान्वयन का जिम्मा जलदाय विभाग को मिला, लेकिन अब स्वायत्त शासन विभाग के अधीन राजस्थान अर्बन ड्रिंकिंग वाटर, सीवरेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लि. (रूडसिको) की ओर से जयपुर शहर की पेयजल व्यवस्था के लिए बनाई गई डिवीजनवार डीपीआर की स्वीकृति पर विवाद की स्थिति सामने आ रही है।
राजस्थान में ई-फाइलिंग शुरू करने वाला पहला निकाय बना जयपुर का ग्रेटर निगम
रूडसिको की ओर से ग्रेटर निगम को दो हिस्सों में बांटकर डीपीआर पिछले सप्ताह जलदाय विभाग को स्वीकृत करने के लिए दी गई। लेकिन विभाग के इंजीनियर इस डीपीआर को स्वीकार करने में पीछे हट रहे हैं। उनका तर्क है कि पहले डिवीजनवार डीपीआर का परीक्षण कराया जाएगा, ताकि यह पता चल सके कि यह पेयजल जरूरत के हिसाब से बनी है या नहीं।
रूडसिको ने दक्षिण सर्कल के गांधी नगर, ज्योति नगर और मालवीय नगर की डीपीआर विभाग को दी है। डीपीआर का परीक्षण कराने के बाद जलदाय विभाग स्वीकृति जारी करेगा। इस प्रक्रिया में कम से कम एक वर्ष का समय लगने की बात कही जा रही है। पहले ही यह परियोजना लगभग दो वर्ष विभागों की खींचतान में फंसी रही।