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जयपुर

सुनियोजित बाजार थी पहचान… आज जाम व अतिक्रमण से परेशान

त्योहारों और शादी समारोहों के समय परकोटे में हर कोई खरीदारी के लिए आगे आता है।

जयपुरOct 03, 2024 / 08:43 pm

Girraj Sharma

जयपुर . परकोटे का हर बाजार, चाहे वह जौहरी हो, किशनपोल, बापू, नेहरू या चौड़ा रास्ता, खरीदारी के लिए लोगों का मुख्य आकर्षण बना हुआ है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक यहां की खूबसूरत इमारतों और स्थलों के साथ-साथ इन बाजारों में भी खरीदारी का आनंद लेते हैं। त्योहारों और शादी समारोहों के समय परकोटे में हर कोई खरीदारी के लिए आगे आता है। लेकिन, त्योहारी सीजन की रौनक के साथ-साथ बढ़ता जाम और अतिक्रमण इन बाजारों की पहचान को प्रभावित कर रहा है।
जौहरी बाजार: भीड़भरा बाजार
परकोटे के प्रमुख बाजारों में से एक जौहरी बाजार हमेशा भीड़ भरा रहता है। त्योहारी और पर्यटन सीजन में आसपास के गांवों से भी लोग यहां आते हैं। पुरोहितजी का कटला बड़ा बाजार है। वहीं फल और सब्जी मंडी में खरीदारी के लिए पूरे शहर से लोग जुटते हैं। हर त्योहार पर यहां भीड़ उमड़ती है। बाजार में लगभग 700 दुकानें हैं।
किशनपोल बाजार: स्मार्ट बाजार का सपना
किशनपोल बाजार को स्मार्ट बनाने के लिए 35 करोड़ से अधिक रुपये खर्च किए गए हैं। हालांकि, इन सुविधाओं का व्यापारियों और जनता को कोई खास लाभ नहीं मिला। स्मार्ट फुटपाथ बनाने के प्रयासों के बावजूद, अतिक्रमण के कारण वहां दुकानें सज रही हैं। नॉन-मोटराइज्ड वाहनों के लिए ग्रीनलेन बनाई गई, लेकिन वह भी पेड पार्किंग से भरी हुई है।
चौड़ा रास्ता: विविधता का केंद्र
चौड़ा रास्ता जयपुरी रजाई, सांगानेरी प्रिंट की बेडशीट, किताबों और घड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्कूली और कॉलेज की सभी किताबें आसानी से मिलती हैं, साथ ही मेडिकल, विधि और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों की किताबें भी उपलब्ध हैं। त्योहारी सीजन में रजाइयों और बेडशीट की बिक्री बढ़ जाती है। यहां लगभग 390 दुकानें हैं।
बाजारों में प्रमुख समस्याएं
जाम और पार्किंग: बाजारों में बढ़ता जाम और पार्किंग की कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।
पार्किंग ठेकेदारों की लापरवाही: पार्किंग ठेकेदार नियमों और शर्तों का पालन नहीं कर रहे हैं।
अतिक्रमण: अस्थाई अतिक्रमण दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिससे बरामदों से लेकर सड़कों तक अतिक्रमण हो रहा है।
शौचालयों की कमी: सुलभ शौचालयों की व्यवस्था नहीं है, और जहां हैं, वहां भी अतिक्रमण की समस्या है।
हर बाजार की अपनी पहचान
जौहरी बाजार: ज्वैलरी और कपड़ों का रिटेल एवं होलसेल बाजार।
किशनपोल बाजार: साइकिलें, आयुर्वेदिक दवा और मूंज-बाण का बड़ा बाजार।
चौड़ा रास्ता: जयपुरी रजाई, सांगानेरी प्रिंट की बेडशीट, किताबें और घड़ियां।
गोपालजी का रास्ता: जेम स्टोन और जवाहरात का कारोबार, शादी कार्ड।
हल्दियों का रास्ता: कपड़ा बाजार और ज्वैलरी की दुकानें।
जड़ियों का रास्ता: कुंदन मीनाकारी।
बापू बाजार और नेहरू बाजार: सांगानेरी प्रिंट की बेडशीट, कुर्तियां और लहंगे।
मनिहारों का रास्ता: लाख की चूड़ियां और कपड़ा मार्केट।
लालजी सांड का रास्ता: साड़ी बाजार।
इंदिरा बाजार: इलेक्ट्रिक सामान और कपड़ा मार्केट।
घाटगेट बाजार: लोहे से तैयार सामान।

समस्याओं पर ध्यान नहीं
किशनपोल बाजार में रोजाना 15 से 20 हजार लोगों की आवाजाही रहती है, वहीं 15 से 20 करोड़ रुपये का कारोबार होता है, लेकिन सरकार बाजार की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है। स्मार्ट बाजार के नाम पर खानापूर्ति की गई।
– मनीष खूंटेटा, अध्यक्ष, किशनपोल बाजार व्यापार मंडल
15 हजार लोगों की रोजाना आवाजाही
बाजार में 10 से 15 हजार लोगों की रोजाना आवाजाही रहती है। रोजाना बाजार में 8 से 10 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। बाजार में सड़क ऊंची-नीची है, जिससे दुर्घटना होने का डर बना रहता है। मुख्य बाजार में ही सड़क टूटी हुई है।
– विवेक भारद्वाज, अध्यक्ष, चौड़ा रास्ता व्यापार मंडल
रोजाना 20 करोड़ से अधिक का कारोबार
जौहरी बाजार में रोजाना 20 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है, त्योहार व शादी-ब्याह के सीजन में यह डेढ़ से दो गुना हो जाता है। हर रोज बाजार में 15 से 20 हजार लोगों की आवाजाही रहती है। नगर निगम की मिलीभगत से पार्किंग ठेकेदार लोगों से मनमानी वसूली करते हैं।
– अजय अग्रवाल, अध्यक्ष, जौहरी बाजार व्यापार मंडल
पुरोहितजी के कटले में हटवाड़ा लगता था
साल 1949 से पहले जौहरी बाजार में दोनों ओर 3-3 फुटपाथ हुआ करता था। यहां जवाहरात का काम होता था। पुरोहितजी के कटले में हटवाड़ा लगता था। चौड़ा रास्ता में विकास अपेक्षाकृत कम था। किशनपोल बाजार में साइकिल, हलवाई और टेंट की दुकानें होती थीं। बाजारों में भीड़ नहीं होती थी। कोई भी वीआइपी आता था तो सांगानेरी गेट से प्रवेश करता था और अजमेरी गेट से निकास होता था।
– सियाशरण लश्करी, संस्थापक अध्यक्ष, जयपुर फाउंडेशन

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