दरअसल, दिवाली पर प्रत्येक वार्ड को 10-10 सफाईकार्मिक दिए जाने का प्रस्ताव पारित हुआ। ऐसे में एक हजार कार्मिकों की जरूरत पड़ेगी। ये कर्मचारी वार्ड में सफाई व्यवस्था करेंगे। 15 दिन में इन पर निगम करीब 40 लाख रुपए खर्च करेगा।
इसके अलावा सभी वार्डों में एक वर्ष के लिए पांच-पांच अस्थायी कार्मिक देने का प्लान भी बनाया है। एक साल में पांच करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। बीट कार्मिकों पर पहले भी हुआ है विवाद
जुलाई, 2023 में बीट कार्मिकों को लेकर तत्कालीन महापौर और अतिरिक्त आयुक्त के बीच विवाद हो गया था। मामला थाने तक पहुंच गया था। बीट पत्रावली को लेकर अतिरिक्त आयुक्त ने हस्ताक्षर नहीं किए थे और उसके बाद विवाद बढ़ गया था। माना जा रहा है कि उस समय 500 की जगह 600 बीट कार्मिकों का टेंडर किया गया था। 100 कार्मिक कहां जाएंगे, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
जनता के नाम पर होती भर्ती बीट कर्मचारियों में सिर्फ पार्षदों का ही हित है। तभी तो सभा में किसी भी पार्षद ने विरोध नहीं किया। जनता के नाम पर इस टेंडर को किया जाता है और भला पार्षदों का होता है। ज्योति खंडेलवाल के महापौर रहते हुए ये मामला एसीबी तक पहुंच गया था। वहीं, अशोक लाहोटी ने महापौर रहते हुए करीब 1500 बीट कर्मचारियों को हटा दिया था। उस समय सफाईकर्मियों की भर्ती हुई थी।