लोगों को इस धोखाधड़ी से बचाने के लिए सरकार ने सभी नगरीय निकाय, विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यासों को निर्देश दिए हैं कि रेरा में रजिस्टर्ड बिना किसी भी योजना का पट्टा जारी नहीं करेंगे। इसमें निजी डवलपर, बिल्डर के अलावा निकायों के प्रोजेक्ट भी शामिल है। नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया ने सर्कुलर जारी किया है। पूर्व में जारी आदेशों का भी हवाला देते हुए आमजन के हितों का ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही स्पष्ट किया है कि रेरा रजिस्ट्रेशन के बाद ही निकाय प्रोजेक्ट आवेदन स्वीकार करेंगे।
नियम और हकीकत..
नियम: निजी खातेदार, विकासकर्ता, गृह निर्माण सहकारी समिति की प्लॉटेड योजना के ले-आउट प्लान का अनुमोदन करने की बाद संबंधित निकाय सुनिश्चित करेंगे कि योजना का रेरा में रजिस्ट्रेशन के बाद ही पट्टे जारी करेंगे।
हकीकत: अभी भी कुछ निकाय योजना का अनुमोदन करके पट्टे जारी कर रहे हैं। नियम: एकल पट्टा मामलों में बिना रजिस्ट्रेशन के पट्टा जारी किया जा सकता है। लेकिन यह शर्त लगाना जरूरी है कि विकासकर्ता, सोसायटी उस जमीन पर भूखंड, अपार्टमेंट या भवन का बेचान रजिस्ट्रेशन के बाद ही कर सकेगा।
हकीकत: कई छोटे निकायों में इस शर्त की पालना भी नहीं हो रही। अथॉरिटी भरतपुर, पाली, बीकानेर जैसे शहरों में जांच कर रही है।
5 लाख रुपए पेनल्टी व सजा दोनों
बिल्डर व डवलपर्स के साथ रियल एस्टेट एजेंट को भी रेरा में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसके बिना जमीन, प्लॉट, फ्लैट बेचना गैर कानूनी है। रियल एस्टेट एक्ट की पालना नहीं करने पर शुरुआत में 5 लाख रुपए पेनल्टी और फिर सजा का प्रावधान है।