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जयपुर

आदेश को अंगूठा…मनोरंजन क्षेत्र की जमीन पर वाणिज्यिक योजना की अनुमति

जेडीए जोन-12 और नगर नियोजन शाखा अधिकारियों ने कालवाड़ रोड स्थित माचवा में रिक्रिएशनल भूमि (मनोरंजन की गतिविधियों के लिए आरक्षित) पर वाणिज्यिक योजना की स्वीकृति जारी कर दी। यह योजना 19800 वर्ग मीटर में विकसित की जा रही है। जबकि, उच्च न्यायालय से लेकर सरकार ने रिक्रिएशनल से प्रभावित जमीन को यथास्थिति के निर्देश […]

जयपुरJan 04, 2025 / 06:51 pm

Amit Pareek

jaipur

मौके पर शुरू हुआ निर्माण कार्य।

जेडीए जोन-12 और नगर नियोजन शाखा अधिकारियों ने कालवाड़ रोड स्थित माचवा में रिक्रिएशनल भूमि (मनोरंजन की गतिविधियों के लिए आरक्षित) पर वाणिज्यिक योजना की स्वीकृति जारी कर दी। यह योजना 19800 वर्ग मीटर में विकसित की जा रही है। जबकि, उच्च न्यायालय से लेकर सरकार ने रिक्रिएशनल से प्रभावित जमीन को यथास्थिति के निर्देश दे रखे हैं। हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2020, जुलाई में जेडीए ने इसी जमीन पर नियम विरुद्ध जाकर आवासीय स्वीकृति जारी की थी। वर्ष 2023 में मामला खुला तो जेडीए के अधिकारियों ने मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।
पिछले वर्ष, 10 दिसम्बर को जेडीए की बिल्डिंग प्लान कमेटी की बैठक में उक्त जमीन की वाणिज्यिक प्रयोजनार्थ स्वीकृति जारी कर दी है। राजस्थान पत्रिका की टीम ने मौके पर जाकर देखा तो वहां पर निर्माण कार्य शुरू हो चुके हैं। सड़क बनाने से लेकर सीवरेज का काम चल रहा है।
जबकि, मास्टरप्लान की बात करें तो रिक्रिएशनल में कॉलोनी से लेकर व्यावसायिक गतिविधि पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इस जमीन पर फार्म हाउस, पार्क और खेल मैदान ही विकसित करने का प्रावधान है।

अधिकारियों ने आदेश किए दरकिनार
-हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकरण को निर्देश दिया कि मास्टरप्लान और जोनल प्लान या निजी कॉलोनाइजर्स की ओर से विकसित की गईं कॉलोनियों के लेआउट प्लान में खुले स्थानों, हरित स्थानों से लेकर रिक्रिएशनल क्षेत्र की बहाली के लिए कानून के अनुसार उचित कदम उठाएं।
-20 जुलाई, 2017 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया, इसमें साफ लिखा कि इकोलॉजिकल जोन, इको सेंसिटिव जोन, प्लांटेशन जोन और रिक्रिएशनल जोन के भू-उपयोग परिवर्तन को बदलने की अनुमति नहीं है। इसी आदेश में लिखा है कि 12 जनवरी, 2017 को उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में प्रतिबंधित किया है।-प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत 20 फरवरी, 2023 में एक आदेश जारी किया गया। इसमें भी लिखा है कि रिक्रिऐशनल, इकॉलोजिकल क्षेत्र, पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र को छोड़कर अनुमति दी जाएगी।आखिर क्यों किया ऐसा-चार नवम्बर, 2024 को जोन उपायुक्त ने अपने स्तर पर ही संशोधित आदेश क्यों निकाला?-इस मामले की लोक सूचना का प्रकाशन नियमों के अनुरूप क्यों नहीं किया गया?

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