जोधपुर हाॅट सीट से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को हराकर सुर्खियों में आए शेखावत 1992 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशी के रूप में जोधपुर में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के भारी मतों से अध्यक्ष चुने गए थे। इसी विश्वविद्यालय से उन्होंने दर्शनशास्त्र में एमए किया।
शेखावत ने 1992 में छात्रसंघ का चुनाव जीतने के बाद एक साल तक जोधपुर में विश्वविद्यालय के छात्रों की सेवा की। इसके बाद 1994 में वे इथोपिया चले गए। वहां खुद की जमीन पर खेती करने लगे, लेकिन उनको राजनीति में आने की ललक थी और वे भारत वापस आ गए। 2014 में उन्हें भाजपा ने जोधपुर लाेकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। शेखावत ने चार लाख से अधिक वाेटाें से चुनाव जीता आैर उन्हें माेदी सरकार के पहले कार्यकाल में राज्यमंत्री बनाया गया।
सीकर जिले से है खास कनेक्शन
चुनावी राजनीति में आने से पहले वह कई मंचों एवं संगठनों में पदाधिकारी रहे। वह संघ परिवार की आर्थिक शाखा के स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक और राजस्थान में सीमाई क्षेत्रों में गांवों और शहरों के विकास के लिए समर्पित संगठन सीमा जन कल्याण समिति के महासचिव रहे। सीमा क्षेत्र में निवासरत नागिरकों की दूसरी रक्षापंक्ति बनाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।भारत पाकिस्तान सीमा पर 40 स्कूल और चार छात्रवास खुलवाने में उनकी मुख्य भूमिका रही। शेखावत का जन्म तीन अक्टूबर 1967 में राजपूत परिवार में हुआ था। राजपूत परिवार में जन्मे गजेंद्र सिंह सीकर जिले के महरौली गांव से संबंध रखते हैं। उनके पिता शंकर सिंह शेखावत जनस्वास्थ्य विभाग में वरिष्ठ अधिकारी थे। शेखावत सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं। सांसद के रूप में सदन में सर्वाधिक बहस करने वाले सर्वश्रेष्ठ पांच सांसदों में वह शामिल रहे हैं।
2014 में शेखावत ने जोधपुर से ही चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रेश कुमारी को भारी मतों से हराया था, लेकिन इस बार लड़ाई दमदार हो गई, क्योंकि उनके सामने अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत थे। शेखावत ने गहलोत के बेटे को चुनाव में करारी शिकस्त दी आैर उन्हें अब इस जीत के इनाम के तहत प्रमाेशन देकर केबिनेट मंत्री बनाया गया है। शेखावत के बोलने की शैली की काफी तारीफ की जाती है और वह अपने संसदीय क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। उन्हें उनके क्षेत्र में अक्सर ‘गज्जू बन्ना’ कहा जाता है।