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जयपुर

पिछले साल की तुलना में किसानी गेहूं की आपूर्ति 38 फीसदी कमजोर

इस साल गेहूं का उत्पादन कम होने तथा जरूरतमंद देशों को निर्यात होने से उत्पादक एवं वितरक मंडियों में गेहूं की शॉर्टेज बनी हुई है। पिछले दो सप्ताह के दौरान गेहूं 200 रुपए प्रति क्विंटल तक उछल गया था। गेहूं के भावों में तेजी के बाद एक बार फिर से गिरावट देखने को मिल रही है।

जयपुरAug 15, 2022 / 09:38 am

Narendra Singh Solanki

पिछले साल की तुलना में किसानी गेहूं की आपूर्ति 38 फीसदी कमजोर

पिछले साल की तुलना में किसानी गेहूं की आपूर्ति 38 फीसदी कमजोर

इस साल गेहूं का उत्पादन कम होने तथा जरूरतमंद देशों को निर्यात होने से उत्पादक एवं वितरक मंडियों में गेहूं की शॉर्टेज बनी हुई है। पिछले दो सप्ताह के दौरान गेहूं 200 रुपए प्रति क्विंटल तक उछल गया था। गेहूं के भावों में तेजी के बाद एक बार फिर से गिरावट देखने को मिल रही है। जयपुर मंडी में मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं मंदा होकर 2300 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है। गेहूं की फसल आए करीब चार माह बीत चुके हैं। मित्तल दलिया के निर्माता मुकुल मित्तल ने बताया कि मंडियों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में किसानी माल यानी गेहूं की आपूर्ति 38 फीसदी कम हो रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021-22 में गेहूं का निर्यात 71 लाख टन हुआ है, जबकि इससे बीते वर्ष यानी वर्ष 2020-21 में गेहूं का कुल निर्यात 12 लाख टन के आसपास हुआ था। बीते वर्ष निर्यात अधिक होने का मुख्य कारण यूक्रेन एवं रूस की लड़ाई रही है। इस बीच पिछले साल गेहूं का उत्पादन 1105 लाख टन के करीब हुआ था। जो इस बार घटकर 1050 लाख टन रह गया है। सरकार ने गेहूं की एमएसपी 2015 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित की है। बता दें वर्तमान स्थिति में रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों में मिलिंग के लिए गेहूं की अपेक्षित आपूर्ति नहीं है। लिहाजा कहा जा सकता है कि आने वाले महीनों में गेहूं की कीमतों में मजबूती रह सकती है। लेकिन यदि सरकार स्टॉक सीमा लगाती है तो गेहूं के भावों में मंदी आने की संभावना है।
इस बार किसानों ने MSP से अधिक दाम पर की बिक्री
केंद्र सरकार किसानों और उपभोक्ताओं के हितों को एक साथ संतुलित करने में काफी सावधानी बरत रही है। भारत सरकार की नीति का उद्देश्य यह है कि किसान अपनी उपज के लिए अधिक पारिश्रमिक प्राप्त कर सकें और केंद्र के निर्णय से अधिकांश किसानों को मदद मिली है। यह बताया गया है कि वर्तमान रबी मार्केटिंग सीजन (वर्ष 2022-23) के दौरान, किसानों ने अपनी उपज को वर्ष 2015 के एमएसपी के मुकाबले 2150 रुपए प्रति क्विंटल की औसत दर से बेचा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि सरकार से सरकार के अनुबंध के आधार पर और खाद्य संकट का सामना कर रहे किसी भी अन्य कमजोर देश के लिए गेहूं का निर्यात खुला रहेगा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि भारत परंपरागत रूप से अनाज का निर्यातक नहीं रहा है।

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