सोहनलाल के ताऊ चंदालाल ने बताया कि उदयपुरिया मोड़ स्थित एक फैक्ट्री में कार्य करने के दौरान 8 सितंबर 2012 को सोहनलाल की करंट का झटका लग गया। सोहनलाल बेहोश हो गया। परिजनों ने चौमूं के निजी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया, जहां से 20 दिन बाद संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में 15 दिन तक इलाज चला। इसके बाद 1 वर्ष तक फिर चौमूं के एक हॉस्पिटल में भर्ती रहा, लेकिन कोमा से वापस नहीं लौटा। चिकित्सकों के उसके कोमा से लौटने की उम्मीद नहीं होने की बात पर घर में ही बेड की व्यवस्था कर हॉस्पिटल बनाया। चिकित्सा के जरूरी उपकरण लगाए। तब से ताऊ, पीड़ित की पत्नी रेखा, मां गोपाली देवी सेवा में जुटे हैं। तथा परिजनों को सोहनलाल के कोमा से बाहर आने व परिजनों से बात करने की उम्मीद है। पूरे प्रकरण में शुरुआत में फैक्ट्री प्रबंधन ने भी मदद की थी।
बैंक जमीन नीलामी की तैयारी में: चंदा लाल ने बताया कि सोहनलाल लाल की मां गोपाली देवी ने इलाज के लिए पंजाब नेशनल बैंक शाखा चौमूं से 7 लाख का किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण लिया था। वर्तमान में बैंक वाले 10 लाख रुपए बताकर जमीन को नीलाम करने को कह रहे रहे हैं तथा महीने में दो बार आकर परिजनों को परेशान करते हैं।
बीपीएल में शामिल नहीं: कोमा में गए सोहनलाल बीपीएल में शामिल नहीं है। सोहन की पत्नी रेखा देवी को सरकारी नौकरी की दरकार है। साथ ही बताया कि गोपाली देवी को विधवा पेंशन के रूप में 500 रुपए, सोहनलाल को अपंगता के कारण 750, बच्चों को पालनहार योजना में 2500 रुपए मिलते हैं। लेकिन इनसे गुजारा नहीं हो रहा है। पीड़ित परिवार ने ऐसे में सरकार से मदद के साथ ही बैंक का किसान क्रेडिट कार्ड का ऋण माफ करने की मांग की है।
पूरी जिम्मेदारी ताऊ पर: सोहनलाल के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी अंजलि 13 वर्ष और छोटा बेटा कृष्ण 11 वर्ष का है। पत्नी रेखा देवी ने बताया कि पति की सिर्फ सांसें चल रही हैं। भगवान पर भरोसा है कि उनको ठीक करेंगे। घर परिवार की जिम्मेदारी ताऊ ससुर चंदालाल पर है। चंदा की पत्नी की इसी बीच कैंसर से मौत हो चुकी है। आय को अन्य कोई साधन नहीं है। स्वाभिमान के चलते परिजनों ने भामाशाहों से सहयोग लेने से इंकार कर दिया था।