शेखावत ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के साथ प्रोजेक्ट के तहत कोटा और टोंक जिले में बांधों का दौरा करने के बाद रविवार को प्रेस वार्ता की। उन्होंने कहा कि आज भी विपक्ष इस योजना को लेकर भ्रम फैला रहा है। परियोजना की परिकल्पना साल 20216 में राजस्थान सरकार द्वारा की गई। साल 2018 में डीपीआर बनाई गई। 17 नवम्बर 2017 को कंपनी ने 50 प्रतिशत निर्भरता के आधार पर डीपीआर बनाकर राज्य सरकार को सौंपी, लेकिन योजना धरातल पर नहीं आ पाई। सीडब्ल्यूसी ने 75 प्रतिशत निर्भरता का प्रस्ताव नहीं मिलने की वजह से योजना को मंजूरी नहीं दी। इसके बाद 2018 में राजस्थान में राजे सरकार ने इसी 50 प्रतिशत निर्भरता के आधार पर एममपी सरकार से वार्ता की, लेकिन एमपी ने आपत्ति कर दी। एमपी की आपत्ति के बाद केंद्र ने चिट्ठी दी कि 75 फीसदी निर्भरता के आधार पर ही प्रस्ताव भेजा जाए। सरकार बदल गई और राजस्थान व मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद कमलनाथ ने प्रोजेक्ट पर हामी भरने से मना कर दिया।
मुझे नकारा, निकम्मा जैसे आभूषण पहनाए गए
शेखावत ने पिछली अशोक गहलोत सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि परियोजना पर गहलोत सरकार ने केवल राजनीति की। यहां तक कि मुझे नकारा और निकम्मा जैसे आभूषण पहनाए गए। जमकर राजनीतिक बयानबाजी की गई। हमने कई बार बैठकें भी बुलाई, लेकिन न तत्कालीन सीएम आए और न ही जलदाय मंत्री बैठक में शामिल हुए। गहलोत ने कहा था कि परियोजना के लिए केंद्र की अनुमति की जरूरत नहीं, हम अपने खर्चे पर योजना बनाएंगे। लेकिन उस योजना में 525 क्यूबिक मिलियन मीटर ही पानी मिल सकता था तब उस समय मध्यप्रदेश सरकार ने इस पर आपत्ति की और सुप्रीम कोर्ट में चले गए। अब राजस्थान और एमपी के बीच हुए नए एमओयू के बाद एमपी ने सुप्रीम कोर्ट से वापस अपना केस वापस ले लिया है।
90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार करेगी वहन
शेखावत ने कहा कि नए एमओयू के बाद इस परियोजना का 90 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करेगी। 40 हजार करोड़ में से 4 हजार करोड़ ही राज्य सरकार पर भार आएगा। परियोजना से राजस्थान को 3677 एमक्यूएम पानी मिलेगा जो पहले से ज्यादा है। योजना में पेयजल, इंडस्ट्री और सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था की गई है। पहले काल्पनिक फिगर था अब सीडब्ल्यूसी ने वेरीफाई करके पानी तय किया है।
डेडीकेटेड अधिकारी और ऑफिस बनेगा
शेखावत ने कहा कि आज सीएम भजनलाल शर्मा ने इस परियोजना के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए है कि परियोजना के लिए जो भी भूमि अवाप्त करनी है, उस दिशा में काम करें। भूमि अवाप्ति के लिए डेडिकेटेड अधिकारी की नियुक्ति और ऑफिस बना दिया जाए। शेखावत ने कहा कि 13 जिलों के बजाए अब इस परियोजना का 21 जिलों को लाभ मिलेगा।