इस योजना के तहत विशेष रूप से दिव्यांग, विधवा, परित्यक्ता और अविवाहित महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा, पांच या अधिक सदस्यों वाले समूहों को भी इस योजना में प्राथमिकता मिलेगी। यह सुनिश्चित किया गया है कि लाभार्थियों का चयन लॉटरी प्रणाली से किया जाएगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रखी गई है। इच्छुक आवेदक एसएसओ आईडी के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में जन आधार कार्ड, राशन कार्ड, माटी कला प्रमाण पत्र, दिव्यांग प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ेगी।
यह योजना न केवल परंपरागत माटी कला को संरक्षित करेगी बल्कि इसे नए बाजारों तक पहुंचाने का रास्ता भी खोलेगी। कोटपूतली-बहरोड़ और आसपास के क्षेत्रों के माटी कला कामगार जो पहले हाथ से काम करते थे, अब आधुनिक मशीनों की मदद से अधिक गुणवत्ता और मात्रा में उत्पाद तैयार कर सकेंगे। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी और उन्हें देशभर में अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा।
सरकार की यह योजना माटी कला को संरक्षित करने के साथ-साथ इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान से जोडऩे का एक महत्वपूर्ण कदम है।