ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर 29 जून को देव शयन हुए थे, इसके बाद ही मांगलिक कार्यों पर रोक लगी। अब कार्तिक शुक्ल दशमी 22 नवम्बर तक देवशयन दोष है। इसके बाद 147 दिन अर्थात् 4 महीने 25 दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी पर 23 नवम्बर को देवप्रबोधिनी एकादशी (देवउठनी) पर विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाएंगे। इस बार चातुर्मास की अवधि श्रावण अधिक मास होने से 4 माह 25 दिन की रही।
इस साल 10 दिन सावे, मार्च तक 33 दिन बजेगी शहनाई
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि देव उठनी एकादशी के साथ ही शादी—ब्याह शुरू होंगे। इस साल नवंबर और दिसम्बर में 10 दिन सावे है। इसके बाद मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी पर 16 दिसम्बर को धनु मलमास शुरू हो जाएगा, जो पौष शुक्ल तृतीया पर 14 जनवरी तक रहेगा। इसके बाद फिर से शादी—ब्याह जैसे मांगलिक कार्य शुरू होंगे। ऐसे में मार्च तक कुल 33 दिन शहनाइयां बजेगी।
नवंबर में 5 दिन व दिसम्बर में
नवंबर में 5 दिन पंचांगीय विवाह मुहूर्त है। इसके अलावा 23 नवंबर केा देवउठनी एकादशी का अबूझ सावा है। वहीं दिसम्बर में भी 5 दिन विवाह मुहूर्त है।
संवत् 2080 के अन्त तक स्वयंसिद्ध (अबूझ) मूहूर्त
1. 23 नवम्बर — देव देवउठनी एकादशी
2. 14 फरवरी 2024 — बसंत पंचमी
3. 12 मार्च 2024 — फुलेरा दोज
4. 01 अप्रेल 2024 — शीतलाष्टमी
पंचांगीय विवाह विवाह मुहूर्त
दिन — रेखीय सावे
24 नवम्बर 2023 :— 08 रेखा
25 नवम्बर 2023 :— 06 रेखा
27 नवम्बर 2023 :— 07 रेखा
28 नवम्बर 2023 :— 09 रेखा
29 नवम्बर 2023 :— 10 रेखा
04 दिसम्बर 2023 :— 08 रेखा
06 दिसम्बर 2023 :— 06 रेखा
07 दिसम्बर 2023 :— 06 रेखा
08 दिसम्बर 2023 :— 08 रेखा
15 दिसम्बर 2023 :— 09 रेखा
अगले साल विवाह मुहूर्त
16 जनवरी 2024 :— 08 रेखा
18 जनवरी 2024 :— 07 रेखा
20 जनवरी 2024 :— 07 रेखा
21 जनवरी 2024 :— 09 रेखा
22 जनवरी 2024 :— 07 रेखा
30 जनवरी 2024 :— 09 रेखा
31 जनवरी 2024 :— 09 रेखा
01 फरवरी 2024 :— 08 रेखा
04 फरवरी 2024 :— 07 रेखा
06 फरवरी 2024 :— 07 रेखा
12 फरवरी 2024 :— 09 रेखा
14 फरवरी 2024 :— 09 रेखा
17 फरवरी 2024 :— 09 रेखा
18 फरवरी 2024 :— 07 रेखा
19 फरवरी 2024 :— 08 रेखा
28 फरवरी 2024 :— 05 रेखा
02 मार्च 2024 :— 08 रेखा
03 मार्च 2024 :— 08 रेखा
04 मार्च 2024 :— 07 रेखा
05 मार्च 2024 :— 07 रेखा
06 मार्च 2024 :— 08 रेखा
07 मार्च 2024 :— 09 रेखा
08 मार्च 2024 :— 08 रेखा
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देवोत्थान एकादशी पर शुभ कार्य
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी दीपावली के बाद आती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। कहते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर श्री हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है।