बता दें कि कोचिंग बिल्डिंग सील करने से पहले नगर निगम की टीम करीब 2 घंटे तक अंदर जांच करती रही, बाहर आकर नगर निगम के अधिकारी ने मीडिया से बातचीत की। उपायुक्त लक्ष्मीकांत कटारा ने कहा कि संभव है कि कोई अन्य छात्र ऐसा स्प्रे लेकर आया हो, जिसकी वजह से छात्र बेहोश हुए हों। लेकिन अभी जांच होने तक कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता।
20 घंटे से किसी ने नहीं ली सुध
वहीं, घटनास्थल पर NSUI के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ ने कहा कि उत्कर्ष क्लासेज में छात्र-छात्राओं के बेहोश होने की घटना को 20 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक सरकार और धरने पर बैठे छात्रों के बीच किसी भी मांग पर सहमति नहीं बन पाई है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और प्रशासन की उदासीनता को दर्शाती है।
जब तक छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि शिक्षा के मंदिरों में छात्रों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। इस घटना की निष्पक्ष जांच, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए जाने चाहिए।
ये था पूरा मामला
जानकारी के अनुसार रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे क्लास में बैठे छात्रों को अचानक गैस जैसी गंध महसूस हुई। देखते ही देखते क्लास में बैठे छात्र बेहोश होने लगे। 10 से ज्यादा छात्रों के बेहोश होने के बाद मौके पर हड़कंप मच गया। कोचिंग में दूसरी मंजिल पर क्लास चल रही थी। इस दौरान बेहोश छात्रों को कंधे के जरिए नीचे उतारकर 108 एंबुलेंस को बुलाकर तुरंत निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 2 छात्रों की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें सीके बिरला अस्पताल रेफर कर दिया गया था।