दुर्योधन ने किया था पांडवों का घोर अपमान
महाभारत में जब पाड़व कौरवों से सब कुछ हार गए थे। तब उन्होंने द्रौपदी को भी दाव पर लगा दिया था। जिसमें पांडव द्रौपदी को भी हार गए थे। इसके बाद अहंकारी दुर्योधन के कहने पर दुशासन भरी सभा में द्रौपदी की साड़ी खींचने लगा था। धार्मिक मान्यता है कि महाभारत में द्रौपदी चीर हरण की घटना दुर्योधन ने पांडवों का अपमान करने के लिए की थी। अहंकारी दुर्योधन के कहने पर दुशासन भरी सभा में द्रौपदी की साड़ी खींचने लगा था। जब दुशासन द्रौपदी की साड़ी खींचते हार गया तो दुर्योधन ने पांडवों को लज्जित करने के लिए अपनी जंघा पर थपकी मारते हुए द्रौपदी कौ बैठने को कहा था।
द्रौपदी को किया था भरी सभा में अपमानित
कहा जाता है कि दुर्योधन की यह घिनौनी हरकत पांडवों के लिए प्रतीकात्मक अपमान था। उसका उद्देश्य भरी सभा में द्रौपदी का मान-मर्दन करना और पांडवों को चिढ़ाना था। क्योंकि दुर्योधन ने द्रौपदी को अपनी जंघा पर सच में बैठाया था। यह सीधे तौर पर कही प्रमाणित नहीं है। इसलिए माना जाता है कि दुर्योधन ने द्रौपदी और पांडवों को नीचा दिखाने के लिए ऐसी बातें बोली थीं। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका
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