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जयपुर

कांग्रेस: चुनावी रण के लिए तैयार, भाजपा: चेहरे और सेहरे का इंतजार

 
राजस्थान में मिशन 2023: सत्ता की चुनौती और अगले कदम पर निगाहें

जयपुरJun 03, 2023 / 12:03 pm

Arvind Singh Shaktawat

कांग्रेस: चुनावी रण के लिए तैयार,  भाजपा: चेहरे और सेहरे का इंतजार

कांग्रेस: चुनावी रण के लिए तैयार, भाजपा: चेहरे और सेहरे का इंतजार

जयपुर. स त्ता में आने की चुनौती। राजस्थान में विधानसभा चुनाव तो छह माह बाद होंगे, लेकिन इसके लिए तरकश से तीर निकलने शुरू हो गए हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत एक के बाद एक फैसले लेकर चुनावी बिगुल बजा चुके हैं और ये जता चुके हैं कि वे चुनाव में जाने के लिए तैयार है, वहीं भाजपा अभी सिर्फ पीएम मोदी के भरोसे है। पार्टी राजस्थान में चेहरा घोषित करने से बच रही है। आने वाले दिनों में भाजपा के अगले कदम पर सबकी निगाहें है।
गहलोत सरकार ने छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए हर घर को सौ यूनिट बिजली फ्री देने का मास्टर स्ट्रोक जड़ दिया है और ये संकेत भी दे दिए हैं कि वे चुनाव में जाने और सरकार को रिपीट कराने के लिए तैयार है। माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में जनता को कुछ और सौगातें मिल सकती हैं। इसमें सबसे ज्यादा संभावना पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने की आंकी जा रही है। सरकार के पास यह फीडबैक पहुंचा भी है कि यदि इसके दाम कम कर दिए जाएं तो कांग्रेस सरकार को चुनाव में खासा फायदा हो सकता है। गहलोत और कांग्रेस के नेता बार-बार ये बयान दे रहे हैं कि वे अपनी योजनाओं के दम पर चुनाव मैदान में जाएंगे। इसलिए सरकार ने महंगाई राहत कैंप लगाकर जनता के रजिस्ट्रेशन कराए। रजिस्ट्रेशन की संख्या पांच करोड़ के पार पहुंच चुकी है।
कांग्रेस ने कर्नाटक में राजस्थान की कई योजनाओं को भुनाया। कर्नाटक में दो सौ यूनिट बिजली फ्री देने का वादा किया था और अब राजस्थान में सौ यूनिट बिजली हर घर को दी जाएगी।

पीएम मोदी के भरोसे भाजपा, स्थानीय चेहरा साफ नहीं

भाजपा अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी फिलहाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसे ही है। राजस्थान में पार्टी ने अभी तक किसी भी चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ने का ऐलान नहीं किया है। इस वजह से पार्टी नेताओं में ही नहीं, कार्यकर्ताओं में भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। पार्टी नेताओं में एक ही सवाल है कि आखिर कौन होगा, जिसके चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा या फिर ऐसा नहीं होगा। वसुंधरा राजे की चुनाव में क्या भूमिका होगी। यह भी अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। पार्टी 2003 से लेकर 2018 तक के विधानसभा चुनावों में राजे को आगे रखकर ही लड़ी है, लेकिन इस बार अभी तक राजस्थान में उनकी भूमिका तय नहीं हुई है। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के पद पर नई नियुक्तियां कर दी है। अब सिर्फ चुनाव अभियान समिति के पद पर किसी नेता की नियुक्ति होनी है। यह तो तय है कि जिस तरह से पार्टी का चुनावी अभियान चल रहा है, उसमें किसी को सीएम का चेहरा घोषित करना मुश्किल ही नजर आ रहा है। ऐसे में नेताओं के समर्थकों की स्थिति भी असमंजस वाली बनी हुई है।
सभाओं में किसीको तवज्जो नहीं

पीएम मोदी अभी तक तो सरकारी कार्यक्रमों में राजस्थान आ रहे थे, लेकिन अब भाजपा की ओर से आयोजित होने वाली सभाओं में भी उनका आना शुरू हो चुका है। आबूरोड के बाद अजमेर में भी पीएम मोदी की सभाएं हो चुकी हैं। इन सभाओं में मंच से राजस्थान के किसी भी नेता को ऐसी तवज्जो नहीं मिली है कि कार्यकर्ता या नेता अंदाजा लगा सकें कि किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।

गहलोत सरकार चल सकती है ये अगला दांव
गहलोत सरकार चुनावी फायदा लेने के लिए नया दांव राजस्थान में पेट्रोल-डीजल के दामों को राज्य स्तर पर घटा सकती है। इसमें वैट को कम करने के सीधे तरीके के अलावा रोड सेस को भी कम करके सरकार लोगों को राहत दे सकती है। राजस्थान में पेट्रोल पर 31 रुपए 4 पैसे वैट और 1.5 रुपए रोड सेस लगता है। इसी तरह डीजल पर 19 रुपए 30 पैसे वैट और 1.75 रुपए रोड सेस लगता है। इसे घटाने के लिए डीलर भी सरकार पर दबाव बना रहे हैं और कई बार हड़ताल भी कर चुके हैं।

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