मुलाकात के दौरान केन्द्रीय कोयला मंत्री ने प्रदेश की बिजली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर अतिरिक्त कोयला आवंटन के लिए हरसंभव सहयोग करने के लिए आश्वस्त किया। केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से बात करके परसा कोल ब्लॉक से खनन करने में आ रही दिक्कतों का शीघ्र समाधान निकालने के लिए भी आश्वस्त किया। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय कोयला मंत्री का ध्यान राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम (आरवीयूएन) के बिजलीघरों में कोयले की आवश्यकता की ओर आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि रबी सीजन के कारण राज्य में बिजली की बढ़ी हुई मांग को देखते हुए उत्पादन निगम को प्रतिदिन 23 कोल रैक की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में कोल इंडिया लिमिटेड से औसतन 16.5 रैक प्रतिदिन की ही आपूर्ति हो पा रही है। इससे विद्युत उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बैठक में केंद्रीय कोयला मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव विस्मिता तेज, ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव आलोक गुप्ता तथा ऊर्जा विकास निगम के एमडी एम. एम. रिणवा भी मौजूद रहे।
कोयला खनन अविलंब प्रारंभ किया जाए
शर्मा ने केन्द्रीय कोयला मंत्री से परसा ईस्ट एवं कांता बेसिन (पी.ई.के.बी.) तथा परसा कोल ब्लॉक से खनन अविलंब प्रारंभ करने तथा यह खनन प्रारंभ होने तक कोल इंडिया लिमिटेड एवं इसकी सहायक कंपनियों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले कोयले की मांग के अनुरूप आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री एवं प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को खाली रैक्स की अतिरिक्त व्यवस्था तथा रैक डायवर्जन कराने के लिए केन्द्रीय कोयला मंत्रालय के माध्यम से रेल मंत्रालय के स्तर पर समन्वय करने का भी आग्रह किया।
आने वाले दिनों में बिगड़ेंगे हालात
प्रदेश की 21 यूनिट में फिलहाल 5800 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। शेष 13 यूनिट्स में 2 से 4 दिन के कोयला का स्टॉक है। अगर छत्तीसगढ़ से आपूर्ति नहीं हुई तो सप्लाई और खपत में अंतर आ जाएगा, जिसके बाद बिजली संकट तय है। सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 250-250 मेगावाट की दो इकाइयों में उत्पादन पहले से ही ठप है।