मुख्य सचिव ने सभी अधिकारियों को आगामी मानसून सीजन में प्रदेश में सघन पौधारोपण की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आगामी मानसून में वर्षा जल के अधिक से अधिक संचयन के लिए मनरेगा के माध्यम से जल संरचनाओं जैसे चेक डैम, पॉन्ड आदि के निर्माण को गति दे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव, ऊर्जा विभाग आलोक ने बताया कि उपभोक्ताओं की बिजली संबंधित शिकायतों का कॉल सेंटर और फील्ड रेक्टीफिकेशन टीम के माध्यम से त्वरित निस्तारण किया जा रहा है। अत्यधिक गर्मी के कारण बिजली की मांग गत वर्ष की तुलना में अधिक है। अतिरिक्त संसाधन और एक्सचेंज से आवश्यकताओं के अनुरूप बिजली ख़रीद कर सतत आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। अभियंताओं को फ़ील्ड में रहकर जन समस्याओं के प्रभावी निराकरण के निर्देश दिए है।
आयुक्त एवं कलक्टर पानी, बिजली, स्वास्थ्य सहित सभी व्यवस्थाओं का संपूर्ण प्रबन्धन संभालें- मुख्य सचिव
अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शुभ्रा सिंह ने बताया कि अस्पतालों में डेंगू और मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था की जा रही है । आमजन में हीटवेव एवं मौसमी बिमारियों से बचाव के लिए जागरूकता गतिविधियों का व्यापक प्रचार प्रसार सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अस्पतालों में पानी एवं बिजली तथा आवश्यक दवाओं की उपलब्धता के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किये गए हैं।
जलदाय विभाग के सचिव समित शर्मा ने बताया कि पेयजल सम्बन्धी कार्यों के लिए कॉन्टिनजेन्सी के तहत प्रत्येक जिला कलेक्टर को 50 लाख रुपये के कार्यो के लिए स्वीकृति मार्च माह में दी जा चुकि है। इसके तहत 23.66 करोड़ के 364 आकस्मिक कार्य स्वीकृतित किये गए हैं जिनमे से 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण किये जा चुके है। प्रदेश के 24 जिलों में शत प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव वन अपर्णा अरोड़ा ने बताया कि पंचायती राज, वन, शिक्षा, मनरेगा, जल संसाधन, नगर निगम, हॉर्टिकल्चर, राजीविका आदि की सहभागिता से पौधारोपण की कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उन्होंने इसकी सफलता में जिला कलेक्टरों की नियमित मॉनिटरिंग को अपेक्षित बताया। बैठक के दौरान प्रमुख शासन सचिव राजस्व विभाग दिनेश कुमार सहित चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उर्जा विभाग, उद्योग विभाग, राजस्व विभाग, जन सवास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के उच्च अधिकारीगण मौजूद थे।