सामान्य बच्चों की तरह जी सकेगा
जयपुर हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. जीएल शर्मा ने बताया,कि यश की सांस जल्दी फूल जाती थी। उसे भूख कम लगती थी। वजन भी 13 किलो ही था। निमोनिया के कारण वह कई बार अस्पताल में भर्ती हो चुका था लेकिन अब सामान्य बच्चों की तरह जिंदगी जी सकेगा।
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निःशुल्क हुई सर्जरी
17 एमएम व 3 एमएम की छतरीनुमा एमएफओ डिवाइस को बिना चीर- फाड़ किए पैरों के रास्ते से हार्ट में पहुंचाकर दोनों छिद्र एक साथ बंद किए गए। संभवतः प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है। आमतौर पर बच्चों के दिल में एक ही छिद्र मिलता है। यह सर्जरी मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत मुफ्त की गई है।