दरअसल, हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने वाले चिरंजीवी राव को दो दिन पहले राजस्थान उपचुनावों की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्हें झुंझनू, रामगढ़ और खींवसर सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं, उनके पिता कैप्टन अजय यादव ने आज पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद सियासी गलियारों में कांग्रेस के निर्णय को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लिखी इमोशनल पोस्ट
कैप्टन अजय यादव ने कांग्रेस इस्तीफा देने के बाद सोशल मीडिया पर एक इमोशनल पोस्ट की। उन्होंने लिखा कि “इस्तीफा देने का यह निर्णय वास्तव में कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का 70 वर्षों से जुड़ाव था, मेरे पिता स्वर्गीय राव अभय सिंह 1952 में विधायक बने और उसके बाद मैंने पारिवारिक परंपरा को जारी रखा, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद मेरे साथ खराब व्यवहार करने के लिए पार्टी हाईकमान से मोहभंग हो गया है।”
राव इन तीन सीटों के बने थे प्रभारी
गौरतलब है कि कांग्रेस ने मंगलवार को सात विधानसभा सीटों पर सचिव एवं सहप्रभारी नियुक्त किए थे। चिंरजीवी राव को झुंझुनूं, खींवसर और रामगढ़ विधानसभा में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। जबकि ऋत्विक मकवाना को सलूंबर और चौरासी विधानसभा का सहप्रभारी नियुक्त किया था। वहीं, पूनम पासवान को दौसा व देवली-उनियारा विधानसभा सीट की जिम्मेदारी दी गई थी।
दिल्ली में टिकटों को लेकर हुआ मंथन
वहीं, दिल्ली में भी उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस के बड़े नेताओं का आज मंथन हुआ है। दिल्ली के पंजाब भवन में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और नेता विपक्ष टीकाराम जूली में लंबी मंत्रणा हुई है। सूत्रों के मुताबिक बैठक में दो सीटों पर गठबंधन करने और नहीं करने पर भी लंबी चर्चा हुई है। वहीं, सचिन पायलट ने भी उपचुनाव को लेकर प्रभारी रंधावा से दिल्ली में मुलाकात की है।
इधर, कांग्रेस ने आज गुरूवार को हर विधानसभा क्षेत्र में एक वरिष्ठ नेता को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। दौसा में प्रमोद जैन भाया को जिम्मेदारी दी गई है। झुंझुनूं में गोविंदराम मेघवाल को, रामगढ़ में भजनलाल जाटव को, देवली-उनियारा में हरिमोहन शर्मा को, खींवसर में उदयलाल आंजना को, चौरासी में सुखराम विश्नोई को, सलूंबर में अशोक चांदना को चुनावी जिम्मेदारी सौंपी गई है।