नए जिले और संभाग खत्म होने से लोगों पर होने वाले असर का आकलन भी शुरू हो गया है। रिकॉर्ड वापस जाने से लोगों के कामकाज में देरी होगी और नए जिलों की स्टेशनरी बेकार चली जाएगी। उधर, प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस अधिकारियों की कमी है, अब समाप्त हो चुके नए जिले और संभागों में इन अधिकारियों की आवश्यकता नहीं रहेगी। इससे सरकार को थोडी राहत महसूस होगी।
पाली: निगम पर संकट
संभाग समाप्त होने पर पाली में बनाए गए नगर निगम पर भी संकट खड़ा हो गया है। अब आबादी के आधार पर निगम बनाए रखना या हटाना तय होगा। इसके अतिरिक्त पाली, सिरोही व जालोर के लोगों को संभाग स्तरीय कार्य के लिए जोधपुर जाना होगा।
बांसवाड़ा: अब उदयपुर जाना पड़ेगा
आदिवासी क्षेत्र की योजनाओं पर मॉनिटरिंग बढ़ाने के लिए संभाग बनाया था, राजस्व अपील सुनी जाने लगी थी। अब
बांसवाड़ा-डूंगरपुर जिले के लोगों को इसके लिए उदयपुर जाना पडेगा। बांसवाड़ा से उदयपुर की दूरी करीब 165 किमी. है।
गंगापुरसिटी: राइजिंग राजस्थान के समय करीब एक हजार करोड़ रुपए के एमओयू हुए। जिला मुख्यालय का दर्जा और जिला स्तरीय सुविधाएं नहीं रहने से इन पर असर हो सकता है। जिला मुख्यालय परिसर के लिए सरकारी भूमि आवंटित की गई थी, जिससे सीधे तौर पर तो लोगों पर असर नहीं होगा। उन लोगों पर असर अवश्य होगा, जिन्होंने इस प्रस्तावित परिसर के पास करीब पांच गुना दर पर जमीन खरीद ली थी।
दूदू: जिला बनने के बाद जमीनों के भाव प्रति बीघा दस लाख रुपए और हाईवे के पास भाव 40 लाख रुपए तक पहुंच गए थे, जो अब गिर सकते हैं। जिले में सुविधा बढ़ने की संभावनाओं को देखते हुए कारोबार बढ़ गया था। इसी कारण अनेक कंपनियों ओर बैंकों के कार्यालय, ऑटोमोबाइल, शोरूम खुल गए थे।
अनूपगढ़: सीमावर्ती क्षेत्र होने से विकास की मुख्यधारा से कटा है। जिला अस्पताल की घोषणा हो चुकी थी। शाहपुरा: भीलवा़ड़ा उदयपुर संभाग में था तथा शाहपुरा अजमेर संभाग में चला गया था। जिला मुख्यालय परिसर के लिए जगह चिन्हित हो गई थी।
सांचौर: लोगों को जिले से संबंधित कार्यों के लिए 154 किमी से अधिक दूरी तय करनी पडेगी।
इनसे था विवाद
केकड़ी, नीमकाथाना, जयपुर ग्रामीण,
जोधपुर ग्रामीण
उठ रहे सवाल
डीग, खैरथल-तिजारा वसलूम्बर के साथ समान मानक क्यों नहीं अपनाए।
अधिकारी बोले: दी जा सकती है राहत
ऑनलाइन और परिवहन सुविधाएं बढ़ने से अब दूरी के आधार पर निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं है। जहां तक सुविधाओं का सवाल है, विभागों के जिला स्तरीय कार्यालय और अतिरिक्त जिला कलक्टर व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लगाकर राहत दी जा सकती है।
इधर कड़ा विरोध आंदोलन…की रूपरेखा हो रही तैयार
तीन संभाग और 9 जिलों को खत्म किए जाने के निर्णय के बाद विरोध शुरू हो गया है और आंदोलन की रूपरेखा बनने लगी है। सांचौर में जिले को खत्म करने के विरोध में सांचौर संघर्ष समिति के बैनर तले लोग एकत्र हुए और पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई के नेतृत्व में आंदोलन का ऐलान किया। यहां सोमवार से महापड़ाव शुरू किया जाएगा। वहीं नीमकाथाना के सीमावर्ती क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया व अनिश्चितकालीन बंद करने का भी ऐलान किया गया है। यहां ट्रेन रोकने की भी चेतावनी दी गई है। केकड़ी में भी जिला खत्म करने के विरोध में रविवार को सावर में प्रदर्शन किया गया।
2 जनवरी के बाद शुरू होगा आंदोलन
गंगापुरसिटी जिला खत्म करने पर बाद उपनेता प्रतिपक्ष रामकेश मीना की ओर ने विरोध जताया है। इसको लेकर सोमवार को शहर के प्रबुद्ध लोगों व व्यापारिक संगठनों की बैठक होगी। राष्ट्रीय शोक के कारण दो जनवरी के बाद आंदोलन शुरू किया जाएगा। बांसवाड़ा संभाग को खत्म करने पर जिला कांग्रेस और उससे जुड़े छात्र संगठनों ने बैठक करके आंदोलन शुरू करने पर सहमति जताई।
अनूपगढ़-दूदू में भी प्रदर्शन
अनूपगढ़ में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और लोगों ने रास्ता जाम कर दिया। दूदू जिले को खत्म करने पर दूदू में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। उपमुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी हुई। शाहपुरा में भी प्रदर्शन किया गया। बाजार बंद रहे। वहीं हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर चर्चा की गई।