नए जिलों को खत्म करने पर विपक्ष सरकार पर दूसरे दिन भी हमलावर रहा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पिछली सरकार ने पूरी तैयारी के बाद नए जिले बनाए थे। राज्य सरकार ने अपनी पार्टी के दबाव में प्रदेश के विकास का एक बड़ा मौका खो दिया है। पूर्व सीएम गहलोत ने भैरोंसिंह शेखावत के समय बने जिलों का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय कौन सा इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद था?
गहलोत ने रविवार को सिविल लाइंस स्थित अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से कहा कि मंत्री सरकार के इस फैसले का बचाव नहीं कर सकते, इसलिए रिटायर्ड अधिकारियों को आगे कर दिया। उन्होंने कहा कि छोटे जिलों में सरकारी योजनाओं को अच्छे से लागू किया जा सकता है। एक साल में सरकार का काम नहीं कर पाने का परसेप्शन बन गया है। प्रदेश के साथ ही बाहर भी लोग पूछ रहे हैं कि सरकार काम क्यों नही कर पा रही है? देश में कहीं भी जिला बनाने से पहले कलक्टर ऑफिस और एसपी ऑफिस नहीं खोले गए। जिले की घोषणा करने के बाद ही सभी अधिकारी लगाए जाते हैं। पहले किराए पर बिल्डिंग ली जाती है और उसके बाद नया भवन तैयार होता है।
रिटायर्ड अधिकारियों को पद का लालच हो सकता है: गहलोत ने कहा कि मैंने सुना कि कुछ रिटायर्ड अधिकारियों ने भी कहा कि हमारा फैसला व्यावहारिक नहीं था। पता नहीं उन्हें किस बात का डर है? हो सकता है कोई लोभ-लालच रहा हो? अभी भी सरकार में कई पद खाली है। कुछ इच्छा शायद रह गई होगी। हमने भी अधिकारियों को कई चांस दिए हैं। डीबी गुप्ता, जो मुख्य सचिव रहे। उनको तो हमने मुख्य सूचना आयुक्त बनाया था।
कमेटी के चेयरमैन भाजपा जॉइन कर चुके
पूर्व सीएम गहलोत ने कहा कि कई पड़ोसी राज्य जैसे गुजरात, मध्य प्रदेश जो हमसे छोटे हैं, लेकिन वहां जिलों की संख्या ज्यादा है। एमपी में 51 जिले थे, जिसके बाद दो और जिले बना दिए गए। भाजपा सरकार ने जिलों पर फैसला लेने में एक साल लगा दिया। अगर हमारा गलत फैसला था तो इन्हें आते ही जिले खत्म करने चाहिए थे। गहलोत ने जिलों की कमेटी के चेयरमैन पर भी आरोप लगाते हुए कहा वह तो भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
यह खींचतान वाली सरकार
एसआइ भर्ती परीक्षा से जुड़े एक सवाल पर गहलोत ने कहा कि प्रदेश में यह खींचतान वाली सरकार बन गई है. कोई मंत्री कुछ कहता है तो दूसरा मंत्री कुछ और बयान देता है। वोटों की फसल काटने के लिए बनाए जिले: भाजपा
भाजपा ने आरोप लगाया है कि पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सेवानिवृत्त अधिकारी की समिति की रिपोर्ट आने से पूर्व ही केवल वोटों की फसल काटने के लिए आनन-फानन में 17 नए जिलों की घोषणा की थी। गहलोत ने जिस दूदू को 3 माह पूर्व नगर पालिका बनाने की घोषणा की, उसे सिर्फ चहेतों को खुश करने के लिए 3 माह के बाद ही जिला बना दिया।
भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी एवं पूर्व मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह बाली ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में रविवार को पत्रकारों से कहा कि राजस्थान में आजादी के बाद 2023 तक महज 7 नए जिले बनाए गए। वहीं, पूर्व सीएम गहलोत ने चुनावी लाभ के लिए 17 नए जिले बना दिए। इन नेताओं का कहना है कि सीएम भजनलाल शर्मा की कैबिनेट द्वारा नए जिलों को लेकर किए गए निर्णय से आमजन खुश है। दूदू के लोगों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर आभार जताया और जयपुर में शामिल करने पर धन्यवाद दिया। भीनमाल के लोगों ने भी खुशी व्यक्त की।
‘विधायकों को खुश करने के लिए बनाए जिले’
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने आरोप लगाया कि समुचित आर्थिक प्रबंध व संसाधन जुटाए बगैर पूर्व सीएम गहलोत ने अल्पमत की सरकार बचाने में सहयोग करने वाले विधायकों को खुश करने के लिए नए जिले घोषित कर दिए। राठौड़ ने रविवार को नई दिल्ली में पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी।