जिसके बाद सोमवार को कैबिनेट सब कमेटी बैठक हुई। सीएमओ में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा भी मौजूद रहे। कैबिनेट की बैठक में बुधवार को नए जिलों को लेकर चर्चा हुई। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि पिछली सरकार ने नियमों से परे जाकर बिना किसी आधार के जनहित के विरोध में कुछ जिलों का गठन किया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इस संबंध में एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई और एक जनप्रतिनिधियों की कमेटी बनाई।
उन्होंने आगे कहा कि एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी है। उसका परीक्षण होना है। अन्य लोगों से भी राय-मशविरा करना है। एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के परीक्षण के बाद तय होगा कि कौन-सा जिला रहेगा और कौन-सा नहीं रहेगा। अभी रिपोर्ट का परीक्षण हो रहा है।
इन नए जिलों पर गिर सकती है गाज!
दूदू, मालपुरा जैसे जिलों के सीमांकन में बदलाव करने की कवायद की जा सकती है। पूर्व सरकार ने मालपुरा को लेकर भी आचार संहिता लगने से पहले जिला बनाने की घोषणा की थी। संभव है कि दूदू के साथ मालपुरा को जोड़कर दूदू-मालपुरा नाम से बड़ा जिला बनाया जाए। शाहपुरा को वापस से भीलवाड़ा में जोड़ा जा सकता है।
वहीं, खैरथल तिजारा की जगह भिवाड़ी को जिला बनाया जा सकता है। केकड़ी, सलूम्बर, सांचोर को रद्द किया जा सकता है। इनके अलावा आकार के हिसाब से बांसवाड़ा को संभाग बनाने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
2000 करोड़ का खर्चा आता है एक जिले पर
बताते चलें कि एक जिले को बनाने में करीब 2000 करोड़ रुपए का खर्चा आता है। 2008 में प्रतापगढ़ जिला बना था। इतने साल बीतने के बावजूद भी वहां पर प्रशासनिक संसाधनों की कमी है। नए जिलों में भी इतनी सारी सहूलियत देने में 8 से 10 साल लग जाएंगे।
उन्होंने कहा कि राजस्थान की 7 करोड़ की जनसंख्या है, उसको प्रशासनिक इकाइयों के हिसाब से मेंटेन करना जरूरी है। जयपुर बड़ा जिला है, कोई छोटा जिला है तो बराबर कैसे हो जाएंगे।