दावा किया जा रहा है कि टाइगर की इंसानों की ओर से हत्या का राजस्थान में पहला मामला है। सीसीएफ अनूप के आर ने इंसानों के हमले से बाघ की मौत पर एफआईआर दर्ज करने की बात कही थी। लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
आशंका है कि जब बाघ भरतलाल मीणा पर हमला कर उसके शव के पास बैठा होगा तभी ग्रामीणों ने गन पाउडर से उस पर हमला किया, जिससे वह बुरी तरह घायल हुआ होगा। जिसके बाद ग्रामीणों ने उस पर धारदार हथियारों से हमला कर मार डाला। बाघ के पिछले दोनों पैर टूटे हुए थे। रीढ़ की हड्डी में भी फ्रैक्चर था। जबड़ा टूट गया था। शरीर पर गहरे घावों के 25 से ज्यादा निशान मिले हैं। बाघ ने पिछले 8-10 दिन से कोई शिकार नहीं किया था। ऐसे में वह 10 दिन से भूखा था। पोस्टमॉर्टम के दौरान भी उसके पेट में कुछ भी ठोस नहीं मिला है।
वन विभाग इस मामले में सवालों के घेरे में है। क्योंकि अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिन लोगों ने टाइगर को मारा। वह लोग कौन है। अब तक मालूम तक नहीं चल सका है। ऐसे में पूरा मामला अब तक दबा हुआ है। इसके साथ ही वन विभाग के अधिकारी एफआईआर दर्ज कराने के लिए कह तो रहे है, लेकिन दर्ज करा नहीं रहे है। ऐसे में पूरा मामला दबता नजर आ रहा है।