कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत ने भी मंत्री पद की शपथ लेने के बाद बयान दिया कि राजनीतिक रूप से जो फैसले पूर्ववर्ती सरकार ने लिए थे, उन सभी की समीक्षा करेंगे। हालांकि, जनहित से जुड़ी हुई योजनाएं और काम यथावत चलते रहेंगे। सीएम भजनलाल शर्मा भी पहले यह कह चुके हैं कि जनकल्याणकारी योजनाएं बंद नहीं करेंगे। दरअसल, पिछले दो-तीन सरकारों के कार्यकाल से यही रिवाज चलता रहा है।
इन फैसलों पर रहेगा फोकस
– स्कूल, अस्पताल सहित करीब 300 संस्थाओं, ट्रस्ट को रियायती दर जमीन आवंटन। जयपुर के बाद कोटा, जोधपुर में सबसे ज्यादा आवंटन।
– कांग्रेस सरकार में 19 नए जिलों का गठन किया गया।
– सोलर एनर्जी कंपनियों को करीब 2 हजार हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई।
– उद्योग विभाग के जरिए प्रदेश में निवेश करने वाली कंपनियों को कस्टमाइज्ड पैकेज।
– कुछ डवलपमेंट प्रोजेक्ट, जो सवालों के घेरे में हैं और सरकारी एजेंसियां ही सवाल उठा चुकी हैं।
– विभिन्न समाजों के बोर्ड गठन, जो चालीस से ज्यादा हैं।
– महिलाओं को मुफ्त स्मार्टफोन वितरण।
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आचार संहिता से पहले इन मामलों में दिखाई रफ्तार
चुनाव आचार संहिता 9 अक्टूबर को लगी थी और तत्कालीन सरकार ने इससे 19 दिन पहले 20 सितंबर को 24 जिलों में 216 जमीन आवंटन का फैसला किया। इनमें जोधपुर के सबसे ज्यादा 44 मामले थे। इनके अलावा जयपुर, उदयपुर, कोटा, सवाईमाधोपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, पाली, अजमेर, सिरोही, केकड़ी, बालोतरा, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, अलवर, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़, दौसा, बालोतरा, सीकर, बांसवाड़ा, फलाैदी, बूंदी शामिल हैं।
चर्चा में यह आवंटन
जयपुर शहर में ही एक निजी विश्वविद्यालय, मेडिकल ट्रस्ट व एक अस्पताल को 5 लाख वर्गमीटर से ज्यादा (करीब 200 बीघा) जमीन का आवंटन किया गया है। इस जमीन की उस समय बाजार कीमत करीब 670 करोड़ रुपए आंकी गई थी, जबकि आवंटन दर के अनुसार 70 करोड़ रुपए में दी गई।
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पिछली सरकार के ये 7 मंत्री लगाते गए मुहर
जमीन आवंटन मामलों को लेकर गहलोत सरकार ने 7 मंत्रियों की मंत्रिमण्डलीय एम्पावर्ड कमेटी बनाई हुई थी। इसमें तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री परसादी लाल मीणा,मंत्री रामलाल जाट, ममता भूपेश, भजनलाल जाटव, शकुंतला रावत, राजेन्द्र सिंह यादव शामिल थे।