scriptVideo: मोबाइल देखने वालों के लिए बुरी खबर… आपकी एक गलती और मौत!, एक्सपर्ट से जानें कैसे जान गंवा रहे युवा | : Bad news for those who use mobile, one mistake and you will die! Know from experts how young people are losing their lives | Patrika News
जयपुर

Video: मोबाइल देखने वालों के लिए बुरी खबर… आपकी एक गलती और मौत!, एक्सपर्ट से जानें कैसे जान गंवा रहे युवा

नए अध्ययनों से पता चला है कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ा रहा है। जयपुर के न्यूरो फिजीशियन डॉ अंजनी कुमार शर्मा का कहना है कि मोबाइल का मन और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बेहद कम उम्र में ही बच्चों को मोबाइल स्क्रीन की आदत उनकी याददाश्त के लिए खतरनाक साबित होती है।

जयपुरOct 15, 2024 / 03:03 pm

SAVITA VYAS

डॉ अंजनी कुमार शर्मा, न्यूरो फिजीशियन जयपुर

सविता व्यास

जयपुर। मोबाइल आज की जरूरत हैं, लेकिन मोबाइल का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल लोगों को ‘हिंसक’ बना रहा है। युवाओं को मोबाइल की लत इस कदर लग चुकी है कि अगर उनसे उनका फोन छीन लिया जाए तो लगता है जैसे उनसे किसी ने उनकी जान मांग ली हो। इसे लेकर कई बार उनके परिजन काफी चिंतित हो जाते हैं और रोक-टोक करने लगते हैं। परिजनों की यही रोक-टोक उनको नागवार गुजरती है। मोबाइल नहीं मिलने पर वे आक्रमक हो जाते हैं और आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। नए अध्ययनों से पता चला है कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ा रहा है। जयपुर के न्यूरो फिजीशियन डॉ. अंजनी कुमार शर्मा का कहना है कि मोबाइल का मन और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बेहद कम उम्र में ही बच्चों को मोबाइल स्क्रीन की आदत उनकी याददाश्त के लिए खतरनाक साबित होती है। वे किसी भी बात को जल्दी भूलने लगते हैं, जिसका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है।
मोबाइल छुपाने पर बेटी हुई हिंसक

यह घटना जयपुर के मारुती नगर इलाके की है, जहां 20 मई को 22 वर्षीय निकिता सिंह घर से मां ने मोबाइल छोड़ प्रतियोगी परीक्षा पर ध्यान देने को कहा। इतनी सी बात पर गुस्साई बेटी ने लोहे की रॉड से मां को लहूलुहान कर दिया। बचाव में मां ने भी उससे रॉड छीनकर उस पर हमला कर दिया, जिससे बेटी की मौत हो गई।
मोबाइल देखने से रोका तो लगाई फांसी

कोटा के अनंतपुरा इलाके में 2 जुलाई को एक सातवीं कक्षा में पढ़ाई करने वाली छात्रा अर्चना को जब परिजनों ने मोबाइल चलाने से रोका तो उसने आत्महत्या कर ली। छात्रा ने कमरे में फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। परिजन बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने इलाज के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया।
गुस्से में आकर दे दी जान

राजस्थान के उदयपुर जिले में 14 जुलाई को एक मां ने बेटे को मोबाइल छोड़कर पढ़ाई करने को कहा तो बेटे ने गुस्से में आकर जान दे दी। हिरण मगरी थाना क्षेत्र के मसारो की ओबरी ऋषभदेव निवासी अभिमन्यु मीणा को उसकी मां ने मोबाइल चलाने से रोका था, इसी से नाराज होकर उसने फांसी लगा ली। ये घटनाएं सिर्फ उदाहरण ही नहीं, बल्कि समाज को आगाह करनी वाली है कि मोबाइल की लत किस कदर युवाओं को आत्महत्या की ओर धकेल रही हैं। युवाओं में नकारात्मक इस कदर हावी हो गई है कि अपनों का टोकना भी नागवार गुजर रहा है।
विदेशों में मोबाइल पर बैन

2022 में जारी मैकाफी के ग्लोबल कनेक्टेड फैमिली अध्ययन के अनुसार, 10-14 वर्ष की आयु वर्ग के 83 फीसदी भारतीय बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय औसत 76% से 7% अधिक था। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए कई देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने टीनएजर्स के लिए स्मार्टफोन बैन किया है। फ्रांस ने 2018 में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए स्मार्टफोन बैन किया था। इसी साल नीदरलैंड्स ने भी स्कूलों में हर तरह के मोबाइल फोन बैन किए हैं।
यूनेस्को भी जता चुका है चिंता

संयुक्त राष्ट्र संघ की सहयोगी संस्था यूनेस्को ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि स्कूलों में बच्चों को मानव केंद्रित दृष्टिकोण की जरूरत है और डिजिटल तकनीक का एक उपकरण के तौर पर काम होना चाहिए। इसको लेकर संस्था ने अपनी शिक्षा में तकनीक पर एक रिपोर्ट भी तैयार की। इस रिपोर्ट के आधार पर यूनेस्को का कहना है कि स्कूलों में स्मार्ट फोन पर पूरी तरह से प्रतिबंध यानी बैन लगा देना चाहिए। ऐसा ना हो कि ये आप पर इतना हावी हो जाएं कि आप इसके बिना रह ना पाएं या कुछ सोच ना पाएं।

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