डॉ. एसडी शर्मा और डॉ. आवेश सैनी ने बताया कि गाइनी विभाग की टीम ने समय पर स्टेरॉइड्स का उपयोग किया, जिससे शिशु के फेफड़े बेहतर तरीके से विकसित हो सके। शिशु को वेंटीलेटर पर रखने के दौरान मां का दूध नली के माध्यम से दिया गया, जिससे उसे गंभीर संक्रमणों से बचाया गया।
कंगारू केयर और मां के दूध ने शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धीरे-धीरे मां का दूध देने से शिशु का ब्रेन ग्रोथ बेहतर हुआ और अस्पताल में रहकर ही उसने कई विकारों से बचाव किया। हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा और सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने बताया कि अब शिशु स्वस्थ है और अपना दूध स्वयं लेने लगा है।