भारत आैर पाकिस्तान के विभाजन के वक्त कर्इ हिन्दुआें ने पाकिस्तान छोड़ दिया आैर भारत में बस गए। हालांकि अमरकोट के राणा ने अपनी जमीन छोड़ने से इनकार कर दिया। ये परिवार आज भी बेखौफ होकर पाकिस्तान में रहता है। यहां तक की हिन्दुआें के साथ ही मुसलमानों में भी अमरकोट के राणा के प्रति काफी आदर है। इस रियासत के राणा हमीर सिंह है। उनके पिता राणा चंद्रसेन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के संस्थापकों में से एक थे। वे सात बार सांसद रहे आैर पाकिस्तान की सरकार में मंत्री भी बनाए गए। बाद में वे पीपीपी से अलग हो गए आैर पाकिस्तान हिन्दू पार्टी का गठन किया। खास बात ये कि पार्टी के झंडे का रंग केसरिया आैर उस पर आेम आैर त्रिशूल अंकित किया गया था। चंद्रसेन का 2009 में निधन हो गया।
बंटवारे के वक्त अमरकोट की अस्सी फीसदी आबादी हिन्दुआें की थी। हालांकि 1965 के युद्घ के बाद ज्यादातर हिन्दुआें ने अपनी जमीन बेच दी आैर वे भारत आकर बस गए। 1971 के युद्घ के बाद भी बड़ी संख्या में हिन्दू भारत में आ गए। इसके चलते अमरकोट मुस्लिम बहुल इलाका हो गया। बावजूद इसके ये परिवार अब भी परंपरागत शानौ-शोकत के साथ रहता है।
राणा हमीर के पुत्र करणी सिंह की शादी राजस्थान में हुर्इ है। 20 फरवरी 2015 में करणी सिंह की शादी जयपुर के कानोता के ठाकुर मानसिंह की बेटी पद्मिनी से हुर्इ। करणी सिंह अक्सर खुली जीपों आैर लग्जरी गाड़ियों में हथियारों के साथ नजर आते हैं।
शेरशाह सूरी के हाथों पराजित होकर हुमायूं शरण के लिए भटकता हुआ अमरकोट पहुंचा। जहां पर उन्हें अमरकोट के राणा ने शरण दी आैर यही वो किला था जहां पर 14 अक्टूबर 1542 में अकबर का जन्म हुआ।